नीरव की साजिश और प्रिया की अदा ने लूटा हिंदुस्तान ! 

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प्रभुनाथ शुक्ल

हम भारत निर्माण की बात कर रहें हैं। डिजिटल और स्किल इंडिया की उड़ान भर रहें हैं , लेकिन हमारे समाज की दूसरी संस्थाएं कितनी नैतिक जिम्मेदारी से राष्ट्र की प्रगति में लगी हैं यह विचारणीय बिंदु है । बात उठी है तो दूर तलक जाएगी। सिनेमा , साहित्य और कला किसी भी राष्ट्र का आईना होता है । लोग उसमें अतीत और व्यतीत तलाशते हैं। लेकिन संचारक्रांति ने हमारी समाजिक और सांस्कृतिक विरासत की नींव को हिलाकर रख दिया है । दक्षिण भारत की एक मलयालम फिल्म हमें सोचने पर मजबूर करती है। सिनेमा संसार किस चरित्र का निर्माण कर रहा है यह सोचने का विषय है । हमारी युवा पीढ़ी का भविष्य क्या होगा और वह कहाँ जा रही है यह भविष्य के गर्त में है ।
फिल्में अभिव्यक्ति की सशक्त माध्यम और समाज का दस्तावेज होती हैं । भारत जाति और धर्म समूहों में बँटा है । फिल्मों का निर्माण भी व्यवसायिक हित को ध्यान में रख कर किया जाता है । लिहाजा फिल्मों में यथार्थ से अधिक  फंतासियों का पुट अधिक रहता है । यह कल्पना लोक पर आधारित होती हैं । आधुनिक दौर में फिल्म निर्माण का असली मकसद सिर्फ पैसा कमाना है, इसलिए मूल कथानक में मसाला डालना आम बात है । क्योंकि इनका निर्माण एक खास तबके को ध्यान में रख कर बनाया जाता है। देश की छवि और उसकी विरासत पर कम व्यापार पर मूल होता है।हमें याद रखना होगा कि फिल्मों का किरदार सिर्फ इतिहास और कहानी के मध्य नहीँ घूमता। किसी भी फिल्म में मजबूत कहानी , किरदार , संवाद , फिल्मांकन और मनोरंजन का होना ज़रूरी है। क्योंकि फिल्मों का मूल उद्देश्य दर्शकों का मनोरंजन करना भी होता है । इतिहास के किरदार को लेकर बनी संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत का भी यहीं हाल हुआ। लेकिन यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीँ है । भारत का समाजिक ढाँचा विभिन्न जाति , धर्म , भाषा समूहों को मिला कर बना है । हमारा संविधान अपनी सीमा में सभी के अधिकारों का पूरा संरक्षण करता है और आजादी के संरक्षण के लिए सम्बन्धित संस्थाएं बनी हैं ।  लेकिन जब किसी मसले को भोंडेपन से जोड़ कर सिनेमा , साहित्य और कला की आड़ में अभिव्यक्ति की बात की जाय तो यह भद्दा मजाक होगा। महिला अधिकारवाद को लेकर यह कैसी वकालत ?

प्रिया प्रकाश वरियर एक मलयालम अभिनेत्री हैं।रुपहले पर्दे पर अपनी एक अदा से रातोंरात सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। मलयाली फिल्म में एक 10 सेकंड के गाने की क्लिप ने हिंदुस्तान भर में कोहराम मचा दिया। इस उपलब्धि से लगता है कि  हिंदुस्तान में अब किसी तरह की समस्याएं नहीँ हैं। अब केवल आँख के इशारे पर देश को नाचना है  र उसी से देश, समाज का आर्थिक उन्नयन होना है।पकौड़े की राजनीति करने वालों को नयन व्यापर भाता है । लेकिन भारत तेरे टुकड़े होंगे – – – -जैसे नारों से अभिव्यक्ति की आजादी प्रभावित होती है । पुरस्कार वापस किए जाते हैं । इसे अभिव्यक्ति का आपातकाल कहा जाता है । पद्मावत और भीमा कोरेगाँव पर देश सुलग सकता है। लेकिन प्रिया के नयन बाण पर किसी को कोई खतरा नहीँ ? क्यों ।
देश की एक बेटी का इस तरह का कारनामा हमें गर्व दिलाता है तो फ़िर उसकी असुरक्षा को लेकर कोहराम क्यों मचाते हैं । निर्भया जैसी घटना पर देश क्यों रोता है ? हम भी महिला अधिकारों की खुली वकालत करते हैं । बेटीयों की उड़ान को सारी सुविधाएँ और खुला आसमान मिलना चाहिए। लेकिन उस तरह का खुलापन जो हमारी नैतिकता को मिट्टी में मिलाए और एक पीढ़ी को दिशाहीन बनाए किस काम की। इस फिल्म को क्या एक पूरी पारिवारिक फिल्म कहा जा सकता है । हम परिवार के साथ उसे थियेटर में देख सकते हैं ? घर की चाहारदीवारी में अपनी बेटी और बहन को इस तरह का अनैतिक प्रदर्शन की खुली छूट हम दे सकते हैं ? जाहिर सा सवाल है यह नामुमकिन है , फ़िर इस तरह की फिल्म को हम बढ़ावा क्यों दे रहें हैं,  जो हमारी पीढ़ी को गलत रास्ते पर ले जाती है ।
जिस गंदी कुरीति को हम स्वयं आत्मसात नहीँ कर सकते उसे समाज में बढ़ावा क्यों दे रहें हैं । देश आर्थिक , सामाजिक, जातिवाद, अलगाववाद , नस्लवाद , भाषा और प्रांतवाद से जूझ रहा हैं। कश्मीर में आतंकवाद हमें निगल रहा हैं । चीन और पाक हमारे खिलाफ नीत नई साजिश रच रहें हैं । आर्थिक घोटाले हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ रहें हैं । लेकिन हम देश की चिंता छोड़ सिर्फ सियासी नफे – नुकसान की गणित में लगे हैं ।

नीरव मोदी 14 सौ करोड़ लेकर भाग गया। इसके पूर्व माल्या भी कंगाल कर भाग गया। लेकिन इन मसलों पर  कोहराम नहीँ मचा। सीमा पर हर रोज़ जवान शहीद हो रहें हैं,  उनके सम्मान में आँखें नम नहीँ हुईं।  लेकिन आँख मारने की अदा पर पूरा हिंदुस्तान लूट गया। टीवी पर नीरव मोदी गायब हो गया। प्रिया का राज़ छा गया। सारी खबरें गायब बस आँख मारने की खबर,  जैसे देश की प्रगति का ब्रेन टॉनिक यहीं है । इस वीडियो के जरिये 18 साल की मलयालम अभिनेत्री दुनिया भर में छा गई। यह विडिओ मिक्स कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , राहुल गाँधी, सलमान खान, डॉनल्ड ट्रम्प और नवाज़ शरीफ के साथ भी यह शाट खूब सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है ।

दूसरी तरफ़ ओरू अदार लव का वायरल गाना विवादों में फंस गया है । गाने को इस्लाम की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया जा रहा है । अभिनेत्री और  फिल्म की पूरी टीम के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। इस आपराधिक केस पर कार्रवाई से बचने के लिए प्रिया प्रकाश वारियर ने सुप्री कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की पीठ मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगी। हैदराबाद के छात्र का आरोप है कि प्रिया का ये विडियो उन्हें भी पसंद आया था मगर, जब उन्होंने मलयालम भाषा के इस गाने का अनुवाद किया तो उन्हे पता चला कि इसमें कुछ शब्द मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं। अब ज़रा इस सोच को देखिये धर्म को चोट न पहुँचती  फ़िर बवाल भी न खड़ा होता। समाज का अहित हुआ होने दिया जाय , लेकिन धर्म पर आँच न आए। अगर प्रिया उस समुदाय से होती तो फतवा जारी हो जाता। देश की राजनीति में उबाल आ जाता। सियासत के ठेकेदार आसमान उठा लेते। गीता फोगाट पर बनी सलमान की फिल्म में पहलवान की भूमिका निभाने वाली उस कश्मीरी लड़की का क्या हाल हुआ था किसी से छुपा नहीँ ।  सोचिए हम किस सोच में जी रहें हैं । खैर यह प्रचार का माध्यम भी हो सकता है । देश में इस तरह के विवाद आम हैं । पद्मावत को लेकर भी क्या स्थिति हुईं पूरा देश जानता है । पद्मावत में तो प्रिया जैसा कुछ नहीँ था , लेकिन देश आग का गोला बन गया। लेकिन नैनो के बाण पर हम चुप क्यों हैं , इसका जवाब हमारे पास नहीँ है ? लेकिन फिल्म निर्माता के दिमाग को दाद देनी होगी जिसने सिर्फ 10 सेकेंड की क्लिप का इस्तेमाल कर फिल्म प्रदर्शित होने से पहले अच्छा प्रचार पा लिया। फिल्म ओरू अडार लव 3 मार्च 2018 को रिलीज हो रही है । लेकिन वैलेंटाइन डे के एक दिन पहले फिल्म के लॉन्च हुए टीजर ने नैनों के तीर ऐसे चलाए की पूरी दुनिया लोटपोट  हो गई।
हमारे समाज और सोशलमीडिया जैसी अभासी दुनिया की यह त्रासदी देखिए। मलयालम एक्ट्रेस प्रिया प्रकाश वारियर पर्दे पर अपनी एक अदा से दुनिया लूट रही हैं । गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली वाली एक्ट्रेस सनी लियोनी, आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ जैसी बड़ी एक्ट्रेस को पछाड़ दिया है। 24 घंटों में प्रिया गूगल पर सर्च के मामले में नंबर एक हो गई हैं। प्रि‍या प्रकाश की-वर्ड को सबसे ज्यादा लोगों ने देखा है। क्रिस्टियानो रोनाल्डो, काइली जेनर को पछाड़ा प्रिया को इंस्टाग्राम पर एक दिन में 6 लाख से भी ज्यादा लोगों ने फॉलो किया है।  प्रिया ने क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसी हस्तियों की बराबरी कर लिया।  देश एक बेटी को सिर आँखों पर बिठा दिया है , लेकिन दूसरी बेटीयों को आने से रोका जा रहा है । उन्हें गर्भ में मारा जा रहा है । यह सब क्यों  ?

राष्ट्रीयहित के प्रति हम लापरवाह हैं जबकि कुसंस्कृति फैलाने वाली व्यवस्था की हम पीठ थपथपा रहे हैं । इस तरह फिल्में समाज और युवा पीढ़ी को क्या दिशा देंगी। सेंसर बोर्ड इस तरह के आपत्ति जनक दृश्यों को मंजूरी कैसे देता है। फ़िर इन संस्थाओं का मतलब क्या है । इंटरनेट समाज को वैसे ही उन्मुक्त विचारधारा की तरफ़ धकेल रहा है। दूसरी तरफ़ ऐसी फिल्मों से हम क्या हासिल करना चाहते हैं। सरकार को इस तरह की फिल्मों का निर्माण रोजाना चाहिए। फिल्मों का उद्देश्य स्वस्थ मनोरंजन होना चाहिए न कि गंदी संस्कृति का प्रसार। सरकार , समाज और संस्थाओं को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए।

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