लिखी गईं नई इबारतें...कि ये ख्वाहिशें रूमानी नहीं हैं... - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
आज के विषय पर सबसे पहले पढ़िए मेरे चंद अशआर..... ये परेशानियां जिस्मानी नहीं हैं ये ख्वाहिशें रूमानी नहीं हैं और ये खिलाफतें भी रूहानी नहीं हैं कि अब ये आवाज़ें उठ रही हैं उन जमींदोज वज़ूदों की जानिब से, आहिस्ता-आहिस्ता से, तो कहीं पूरे ज़ोर शोर से गोया अब…