नव वर्ष एक उत्सव 

  गीता आर्य

अलग अलग देशों में विभिन्न प्रकार के उत्सव एवं त्योहार मनाये जाते हैं । त्योहारों का अपना विशेष महत्त्व होता है । त्योहार जहाँ एक ओर हमें खुशी प्रदान करते हैं वहीं दूसरी ओर हम में सामाजिक रूप से एकता का भाव जाग्रत करते हैं । भारत और विश्व में अनेक प्रकार के त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं। लेकिन कोई ऐसा त्योहार या उत्सव नहीं है जिसे समस्त भारत अथवा विश्व एक साथ मिलकर मनाये।

अधिकांश त्योहार क्षेत्रीय अथवा धार्मिक रूप लिये हुए हैं। जिसके कारण समस्त जन भाग नहीं ले पाते। लोग स्वभाव से उत्सव प्रिय होते हैं इसलिये अब वे एक दुसरे के त्योहारों में शामिल होने लगे हैं। जैसे क्रिसमस डे ,दिवाली इत्यादि।ऐसे में नव वर्ष भी एक तरह से त्योहार के रूप में उभर कर आ रहा है। जो समस्त विश्व में एक साथ मनाया जाता है । हालांकि विभिन्न देशों और धर्मों में नव वर्ष अलग अलग तिथि को मनाया जाता है। किंतु अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुसार एक जनवरी से नया साल की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए पूरी दुनिया में नव वर्ष एक जनवरी को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसका क्षेत्र अथवा सम्प्रदाय से कोई सम्बंध नहीं है ।

यह सबका उत्सव है । सब धर्म के लोग समान रूप से इसमें भाग लेते है और भेदभावरहित एक दुसरे को शुभकामनायें देते हैं। यह समानता का प्रतीक बनता जा रहा है। जोकि समाज के लिये बहुत ही अच्छी बात है । इसलिये आज नव वर्ष का महत्व बढ़ता जा रहा है ।

लोगों ने अवधारणा बना ली है कि यदि साल के पहले दिन को उत्साह और खुशी के साथ मनाया जायेगा तो पूरा वर्ष खुशी से बीतेगा । इसलिए दिवाली जैसे त्योहारों की भांति इस दिन भी लोग नये-नये कपड़े पहनना मिठाईयाँ खाना नये-नये पकवान बनाना , पटाखे फोड़ना आदि कार्य करते हैं । जीवन के नये लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं । संकल्प लिये जाते हैं ।

इस तरह नववर्ष एक सन्देश देता है जो भी हुआ सब बुराइयों को भुला कर अपने जीवन में आगे बढ़े और खुशियाँ बांटे क्योकिं नया वर्ष अपने दोनों हाथों से हमें खुशियाँ बांटने आया है। अतः हमें उसका स्वागत करना चाहिये

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