नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्लीवासी अगले साल ही ग्रीन पटाखे जला सकेंगे। इसकी वजह यह है कि दुकादारों को ग्रीन पटाखों के बारे में कुछ पता ही नहीं है। कुछ दुकानदार फुलझड़ी, अनार और चरखी को ही ग्रीन पटाखा बताकर बेच रहे हैं, लेकिन पटाखा एसोसिएशन का कहना है कि यह ग्रीन पटाखों की श्रेणी में नहीं आते।

सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को देशभर में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले ग्रीन पटाखे बनाने और बिक्री की अनुमति दी थी, लेकिन पटाखा एसोसिएशन की मानें तो ग्रीन पटाखों को लेकर बाजार में असमंजस की स्थिति है। दुकानदारों की प्राथमिकता में पटाखों का पुराना स्टॉक बेचना शामिल है। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस कारण पटाखों की बिक्री नहीं हो सकी थी। बताया जाता है कि 50 लाख किलोग्राम पटाखों का स्टॉक कारोबारियों के पास बचा हुआ है।

क्या हैं ग्रीन पटाखे

वह पटाखे जिनके जलने और चलाने पर कम प्रदूषण होता हो। यह पटाखे सामान्य पटाखों की तरह होते हैं। इनको जलाने पर नाइट्रोजन और सल्फर ऑक्साइड गैस का कम उत्सर्जन होता है। इन पटाखों को तैयार करने में एल्यूमीनियम का कम प्रयोग होता है। इनके लिए खास रसायन का इस्तेमाल किया जाता है।