नई दिल्लीः केंद्र सरकार प्रदूषण के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत प्रदूषण फैलाने वाले करीब चालीस से भी अधिक कोयला संचालित बिजलीघरों को बंद किया जाएगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और बिजली मंत्रालय ने इस मामले पर सैद्धांतिक फैसला ले लिया है।

दोनों मंत्रालय उन बिजलीघरों का ब्योरा एकत्र कर रहे हैं जो पुराने हैं, बिजली कम पैदा करते हैं लेकिन प्रदूषण ज्यादा फैलाते हैं। एनसीआर के कई बिजलीघर भी इसके दायरे में आएंगे। केंद्रीय पर्यावरण सचिव सीके. मिश्रा ने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि इस मुद्दे पर हमने बिजली मंत्रालय से बात कर ली है। उन्होंने हमारी सिफारिश को मान लिया है।

कई बिजलीघर केंद्र के अधीन हैं, कई राज्यों के पास है। इसलिए बिजली मंत्रालय की मदद से सभी ऐसे बिजलीघरों का ब्योरा एकत्र किया जा रहा है जो ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं और बिजली उत्पादन कम कर रहे हैं। ऐसे बिजलीघरों की पहचान कर उन्हें बंद कर दिया जाएगा। प्रदूषण फैलाने में बिजलीघरों की करीब 41 फीसदी है।

70 फीसदी कोयले से बिजली

देश में अभी बिजली का करीब 70 फीसदी उत्पादन कोयले से होता है। इसे 2030 तक 40 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। यूरोपीय क्लाईमेट फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए सदी के अंत तक दुनिया को 80 फीसदी तक कमी लानी होगी। दुनिया में कोयला से बनी बिजली पर निर्भरता 40 फीसदी तक है। कोयला बिजलीघरों के प्रदूषण से विश्व में सालाना नौ लाख लोगों की मौत होती है। भारत में एक लाख से ज्यादा मौतें होने का अनुमान है।