नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। शीर्ष कोर्ट ने कहा, संवैधानिक रूप से आधार वैध है। आधार की संवैधानिक मान्यता पर जस्टिस सीकरी ने कहा- आधार समाज के छोटे तबकों को सशक्त बनाया है और उन्हें पहचान दी है। आधार अन्य पहचान पत्रों से बिल्कुल अलग है, इसका डुप्लीकेट बनाना संभव नहीं है। आधार से गरीबों को ताकत और पहचान मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए जरूरी नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने PAN के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सरकार बायॉमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्कूल में एडमिशन के लिए आधार की जरूरत नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अवैध अप्रवासियों को आधार कार्ड नहीं मिले।

आधार की संवैधानिक मान्यता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आधार के लिए यूआईएडीआई की तरफ से लोगों से न्यूनतम जननांकीय और बायोमेट्रिक डेटा लिया गया है। लोगों को दिया गया आधार नंबर यूनिक है और यह किसी और को नहीं दिया जा सकता है।

इस मामले में फैसला सुनाने वाले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ में जस्टिस ए.के. सिकरी, ए.एम. खानविलकर, डी.वाई. चंद्रचूड़ और अशोक भूषण शामिल हैं। इससे पहले कोर्ट ने इस साल मई में ‘आधार’ और इससे जुड़ी 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की थी। 38 दिन तक चली सुनवाई के बाद 10 मई को पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था।