नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संशोधनों के साथ आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक खाते खोलने, स्कूलों में दाखिले और मोबाइल कनेक्शन के लिए इसकी जरूरत नहीं होगी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया। पीठ ने कहा, ‘विशिष्टता, आधार और अन्य पहचान सबूत के बीच का एक मौलिक अंतर है।’

न्यायाधीश ने कहा कि आधार की नकल नहीं की जा सकती और यह एक विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा, ‘हम आधार योजना के तहत जुटाए गए डेटा को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों पर नजर बनाएं हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द कर दिया है, जो निजी कंपनियों को उसकी सेवा तक पहुंच के लिए आधार की मांग की इजाजत देती थी।पीठ ने कहा, ‘आधार के माध्यम से सत्यापन में विफल रहने पर किसी भी व्यक्ति को सामाजिक कल्याण योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘हम सरकार को निर्देश देते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि किसी अवैध व्यक्ति को आधार जारी न हो।’ उन्होंने कहा कि आज तक हमने आधार अधिनियम में ऐसा कुछ नहीं पाया है जिससे किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ हो।