नई दिल्लीः एसिड हमले के खिलाफ जंग का चेहरा बनकर उभरी लक्ष्मी अग्रवाल इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। नौबत यहां तक आ पहुंची है कि उन्‍हें दिल्‍ली के लक्ष्‍मी नगर स्‍थित दो कमरे के फ्लैट से निकाला जा सकता है क्‍योंकि उनके पास किराया देने के भी पैसे नहीं हैं।

लक्ष्‍मी पर 2005 में उनका पीछा करने वाले एक शख्‍स ने एसिड डाल दिया था। 30 साल की लक्ष्‍मी के पास अब नौकरी नहीं है और उनके लिए अपना व अपनी बेटी का गुजारा करना भी मुश्‍किल हो रहा है। अपनी हिम्‍मत से एसिड हमलों के खिलाफ लड़ाई का चेहरा बनीं लक्ष्‍मी को दुनियाभर में सम्‍मान और शोहरत मिला। 2014 अमेरिका की तत्‍कालीन प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने अमेरिकी स्‍टेट डिपार्टमेंट की ओर से इंटरनेशनल वुमेन ऑफ करेज अवॉर्ड प्रदान किया गया था। एसिड हमलों की शिकार महिलाओं की ओर से उन्‍होंने लंदन फैशन वीक में शिरकत की और कुछ टीवी शो में भी हिस्‍सा लिया।

लक्ष्‍मी की हालत पर शायद पर बहुत से लोगों को अचरज होगा, मगर वह कहती हैं कि एसिड अटैक एक्‍टिविस्‍ट की जिंदगी की सच्‍चाई इसी से पता चलती है। अग्रवाल लक्ष्‍मी नगर के जिस फ्लैट में रहती हैं, उसका मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है, मगर अब वह रेंट नहीं दे सकती हैं। वह कहती हैं कि लोगों को लगता होगा कि मुझे बहुत से अवॉर्ड मिले हैं, मैंने रैंप शो और टीवी शो किए हैं तो मेरे पास खूब पैसा भी होगा। मगर मेरे पास अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पिछले एक साल से उनके पास नौकरी नहीं है।