नई दिल्लीः डॉ. मियां प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स एंड वुड्रो विल्सन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी विभाग में अर्थशास्त्री हैं। इमरान की अध्यक्षता वाली 18 सदस्यीय ईएसी में उनकी नियुक्ति की गई थी। नियुक्ति के कुछ दिन बाद ही तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने आतिफ मियां के अहमदी होने पर निशाना साधते हुए उनकी नीतियों का खुलकर विरोध शुरू कर दिया।

आतिफ मियां को बाहर का रास्ता दिखाया जाना अधिकांश लोगों के के लिए हैरानी भरा है क्योंकि महज तीन दिन पहले ही इमरान की पीटीआई सरकार ने मियां के काम की तारीफ करते हुए कट्टरपंथियों के आगे न झुकने का ऐलान किया था। डॉ मियां के खिलाफ निशाना साधने वालों का जवाब देते हुए सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि ‘पाकिस्तान जितना बहुसंख्यकों के लिए है, उतनी ही अल्पखंख्यकों के लिए भी।’

डॉ. मियां को हटाने का फैसला अचानक लिया गया है क्योंकि उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर कई दिनों से आक्रामक अभियान चलाया जा रहा था और उन्हें फौरन हटाने की मांग की जा रही थी। डॉ. मियां के खिलाफ विपक्षी पार्टी के कुछ सांसदों ने सरकार को नोटिस तक दे डाला था। इस नोटिस पर पीएमएल-एन, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-एमल और पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी के सदस्यों ने दस्तखत किए थे।