एसोचैम ने हाल ही में सामाजिक विकास फाउंडेशन द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में बताया कि लगभग एक चौथाई महिलाओं ने कार्यस्थल पर होने वाली परेशानियों को कारण बताते हुए नौकरी छोड़ने की बात कही है। यह वह महिलाएं हैं जो निजी क्षेत्र के उन विभिन्न स्तरों से जुड़ी हुई हैं, जिसमें उन्हें ज्यादा देर तक काम करने, लिंग भेद, कार्यस्थल उत्पीड़न, सुरक्षा की कमी, परिवार और मातृत्व और उच्च शिक्षा जैसे कारणों का सामना करना पड़ता है।
यह सर्वेक्षण भारत के वाणिज्य और उद्योग एसोसिएटेड चैम्बर्स (एसोचैम) द्वारा सामाजिक विकास फाउंडेशन के तत्वावधान में 8 मार्च को विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए किया गया है। एसोचैम के सामाजिक विकास फाउंडेशन ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, मुंबई और पुणे जैसे दस शहरों में काम कर रही 200 माताओं सहित लगभग 500 कामकाजी महिलाओं से इस संबंध में बातचीत कीI इनमें से करीब 25 प्रतिशत महिलाओं ने ज्यादा देर तक काम करने, लिंग भेद, कार्यस्थल उत्पीड़न, सुरक्षा की कमी, परिवार और मातृत्व, उच्च शिक्षा जैसे कारणों को बताते हुए नौकरी छोड़ने की बात कही।
एसोचैम रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं ने कार्यस्थल उत्पीड़न, लिंग भेद, असुविधाजनक कार्य और ज्यादा देर तक कार्यालय में रुक कर काम करने को नौकरी छोड़ने का मुख्य कारण बताया। एसोचैम द्वारा माताओं के लिए गए साक्षात्कार के अनुसार, 200 में से करीब 80 माताओं ने परिवार के साथ अच्छा समय बिताने को अपनी प्राथमिकी बताया। साथ ही तीस प्रतिशत महिलाओं ने कार्यस्थल पर उत्पीड़न को नौकरी छोड़ने का कारण बताया। कई महिलाओं ने यह भी कहा कि उन्हें अपने अधिकारियों से ज्यादा समर्थन नहीं मिला और जब अगर इसके लिए वह शिकायत भी करती हैं तो इस मामले में उनकी कोई सुनता नहीं जिससे उन्हें सबके सामने शर्मसार होना पड़ता है।