नई दिल्लीः गुजरात के गिर अभयारण्य में जांच अभियान के दौरान बचाव केंद्र में भेजे गए दो और शेरों की मंगलवार को मौत हो गई जिससे 12 सितम्बर के बाद मरने वाले शेरों की संख्या 23 हो गई है। न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव कुमार गुप्ता ने कहा, ”पहले बचाए गए दो शेरों की संक्रमण के कारण आज सुबह मौत हो गई।

12 और 19 सितम्बर के बीच वन में 11 शेरों की मौत आपसी लड़ाई और संक्रमण के कारण हो गई जबकि दस और शेरों की मौत 20 और 30 सितम्बर के बीच राहत केंद्रों में स्थानांतरित किए जाने के बाद हुई। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मौतों को ”काफी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।

गुजरात के वन विभाग ने सोमवार शाम इस बात की भी पुष्टि की कि अभयारण्य के पूर्वी डिविजन के डलखानिया से लाकर जशधार के इलाज और पुनर्वास केंद्र में रखे गए 10 एशियाई शेर मार गए। ये शेर 20 से 30 सितंबर के बीच मरे। इससे पहले 12 से 19 सितंबर के बीच शावकों समेत 11 शेर डलखानिया रेंज में मरे पाए गए थे। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की प्रारंभिक रिपोर्टों ने भी इसकी पुष्टि की है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस रोग के वायरस कुत्तों से जानवरों में फैलते हैं। इसे कैनाइन डिसटेंपर वायरस (सीवीडी) कहा जाता है। जानकार इस वजह से भी चिंतित है क्योंकि इसी वायरस ने तंजानिया के सेरेंगेटी रिजर्व में 1000 शेरों की 1994 में जान ले ली थी।