नई दिल्लीः बाढ़ का पानी गांवों से धीरे-धीरे निकल रहा है। सरयू नदी अपने रौद्र रूप को छोड़कर अपने वास्तविक रूप में आने लगी है। इस बार घाघरा और सरयू ने मिलकर जो कहर बरपाया है उसके निशान धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। इस बार सरयू ने उत्तर की तरफ लगभग 2 किलोमीटर का फासला तय करते हुए भिखारीपुर सकरौर तटबंध के समानांतर बह रही है ।

यही कारण है कि इन नदियों ने जो बर्बादी का मंजर छोड़ा है उसका आलम यह है कि रातों रात कई किसान भिखारी बन गए है। हालांकि राहत व बचाव कार्य भी निरंतर जारी है। पहले बाढ़ ग्रस्त गांवों के लोगों को सबसे पहले अपनी व अपने परिवार की जान बचाने की फिकर थी। अब बाढ़ उतरने के बाद अब जो स्थिति सामने आ रही है। उससे किसानों को घर परिवार चलाने की चिंता सताने लगी है। बाढ़ के बाद दूर तक खेतों में गन्ने की खड़ी फसलों का कटाव नजर आता है तो धान व गन्ने की फसलों में केवल नदी का रेत ही भरा हुआ दिख रहा है। बच्ची माझा के घटहन पुरवा निवासी रामदीन चौधरी का तैयार गन्ना कुछ नदी के कटाव का भेंट चढ़ गया तो कुछ नदी के बालू में समा गया है।

वे कहते है कि अब पूरे साल का खर्च कैसे चलेगा समझ में नहीं आ रहा है। इसी गांव के हरिशंकर यादव का धान की फसल भी नदी के बालू से बर्बाद हो गई है। जो घर में आनाज था वह बाढ़ की भेंट चढ़ गया। उनके समक्ष भी परिवार को पालने की चिंता है। नदी की विभिषीका का आलम यह है कि इसी मजरे के नंदा घटहन पुरवा के समयदीन प्रसाद का घर भी नदी के बाढ़ का शिकार हो गया। उन्होंने बताया कि मेरा घर ही आधा नदी के पानी से कट गया है।
सोनौली के ग्राम प्रधान राजू सिंह का कहना है कि उनके ग्राम सभा में 300 से अधिक घर जमींदोज हो जाने की सूचना मिल रही। यही हाल विक्रम, रामकुमार, दताई विशेषर, ललई का है इधर इसी मजरे के समीप चैलहन पुरवा व टटेरी पुरवा में अभी लोग अपने घरों के बाहर ही खाना पका रहें है। मदरही के नकक्षेद, राम सूरत, रामपाल, जिलेदार यादव, नन्नू यादव ,बन बिहारी, रामसनेही ,बहादुर घटहा आदि की धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है।

खेतों में बालू व कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रहा है। रक्षा राम पांडे पुरवा में अभी भी घरों में पानी दिखाई पड़ रहा है। यहां लल्लन पांडे ,कमलेश, बदलू, गुड़िया, ब्रहम यादव, सुधर यादव ,तुलसीराम यादव की स्थिति काफी दयनीय अवस्था में पहुंच चुकी है। घर, खेत, खलिहान पर बाढ़ ने नेस्तनाबूद कर दिया है। ऐली परसोली के पूर्व प्रधान सुरजीत सिंह ने बताया कि केवटाही मजरे में 25 घर सरयू नदी में समा चुके हैं। अगर नदी इसी तरह कटान करती रही तो केवटाही प्राथमिक स्कूल व शेष बचे कुछ घर भी जल्द ही खत्म हो जाएंगे।