नई दिल्ली: ये कहानी शुरू होती है साल 1984 में, जब दिल्ली के पंचशील क्लब में 18 साल के नौजवान शाहरुख खान की नज़र महज़ चौदह साल की गौरी छिब्बर से जा टकराई… और देखते ही देखते शाहरुख गौरी के हो गए. जब पहली नज़र का प्यार मोहब्बत में बदला तो शाहरुख ने अपने इश्क की इंतेहा गौरी को बता दी. दोनों के धर्म अलग थे, लेकिन इन जवां दिलों को धर्म और जात का फर्क कहां मालूम था, सो दिलवाले ने गौरी से दिल्लगी कर ली. आखिरकार लंबी जद्दोजेहद के बाद 26 अगस्त 1991 को शाहरुख और गौरी के प्यार को सही मुकाम मिला और दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली.

कहते हैं हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है. हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि किसी कामयाब औरत के पीछे किसी आदमी का हाथ हो. खैर, शादी के बाद शाहरुख खान की ज़िंदगी ने जिस तरह करवट ली उसे देखते हुए ये कहावत उनके मामले में तो इस्तेमाल की ही जा सकती है. शादी के बाद शाहरुख ने जी तोड़ मेहनत की और उनके हर कदम पर उनकी पत्नी गौरी खान ने उनका साथ भी दिया. आज शाहरुख हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के बड़े कलाकारों में शुमार किए जाते हैं. उनके स्टारडम और चकाचौंध के आगे बड़े से बड़ा सितारा भी फीका लगने लगता है. लेकिन शाहरुख जैसे चमकीले सितारे के करीब रहकर भी उनकी हमसफर गौरी खान ने अपनी चमक को नहीं खोया बल्कि बिना पर्दे पर चमक बिखेरे ही गौरी ने अपनी पहचान बरकार रखी..