नई दिल्लीः वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को एक वर्ष बीत चुका है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है। लगभग 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. लंकेश की हत्या के पीछे कई मास्टरमाइंड हैं। लंकेश की हत्या के बाद उभरा राष्ट्रव्यापी जनाक्रोश भी हालात बदलने में नाकाम रहा। क्योंकि अभी भी देशभर में पत्रकारों पर हमले और धमकियां जारी है।

दुनिया भर में बोलने की स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत में प्रेस की बिगड़ती आजादी को भी उजागर किया गया था। प्रेस मीडिया की आजादी के संबंध में भारत की रैंक 2017 में 136 थी। जो दो स्थान गिरकर 2018 में 138 हो गई। रिपोर्ट में भारत को पत्रकारों के लिए काम करने की सबसे खतरनाक जगह माना गया है।

इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।