नई दिल्लीः ओडिशा के पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के एक पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अपने जीवन को खत्म करने की अनुमति मांगी है। उन्होंने यह पत्र सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव के करीब चार महीने बाद लिखा है जिसमें कोर्ट की तरफ से जबरदस्ती श्रद्धालुओं से चढ़ावे के लिए नहीं कहने की सलाह दी थी। कोर्ट ने कहा था कि सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि सारे श्रद्धालु बगैर किसी विध्न-बाधा के मंदिर में दर्शन कर सकें और उनके द्वारा दिये गये चढ़ावे का दुरुपयोग नहीं हो।

सेवादार नरसिंह पुजापांडा ने बताया कि उनका एक मात्रा आय का स्त्रोत था श्रद्धालुओं से मिलनेवाले गिफ्ट और मंदिर के अंदर किए गए दान। पुजापांडा ने बुधवार को याचिका में लिखते हुए कहा- “हम उनसे मांगते थे और यह पिछले करीब एक हजार वर्ष से ऐसा ही होता चला आ रहा है। कोर्ट और सरकार हमारे एक मात्र आय के स्त्रोत को रोकने का प्रयास कर रही है। बिना आय के हम कैसे जिंदा रहेंगे।”

उन्होंने कहा- “अब कोर्ट ने कहा कि मंदिर आनेवाले श्रद्धालुओं से दान न लें। यह जिंदा रहने के लिए असंभव है। मैने ओडिशा सरकार से मौत की इजाजत मांगी थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। भूखे रहकर मौत के इंतजार से एक बार में मौत बेहतर है।”