नई दिल्लीः पोलैंड के कातोवित्स में 2015 के पेरिस समझौते के बाद जलवायु परिवर्तन पर सबसे अहम बैठक रविवार को शुरू हो गई। इस दौरान 200 देशों के प्रतिनिधियों ने गंभीर पर्यावरणीय चेतावनियों और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों पर तुंरत कार्रवाई का आह्वान किया।
दो हफ्तों तक चलने वाली इस बैठक में जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। यह वार्ता पेरिस में तीन साल पहले ऐतिहासिक करार पर मुहर लगने के बाद हो रही है जिसमें वैश्विक तापमान में इजाफे को दो डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से नीचे रखने का लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमति बनी थी। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर यह बैठक यह मूल रूप से तय कार्यक्रम से एक दिन पहले हो रहा है और इसके 14 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्यालय की एक पूर्व प्रमुख क्रिस्टीना फिगुरेस ने कहा कि भूराजनीतिक अस्थिरता के बावजूद, जलवायु सहमति बेहद लचीला रुख दे रही है।

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना होगा

जलवायु परिवर्तन पर इस बैठक में कई देशों के मंत्री और राष्ट्र प्रमुखों के सोमवार को आने की उम्मीद है। साथ ही इस वार्ता के दौरान मेजबान पोलैंड यह सुनिश्चित करने के लिये एक संयुक्त घोषणापत्र पर दबाव डालेगा कि कोयला उत्पादक जैसे जीवाश्म ईंधन उद्योग उचित ढंग से अपनी राह बदल सकें। साथ ही ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जा सके।

जी-20 सम्मेलन से प्रोत्साहन मिला

इस बैठक को हाल में संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन से अहम समर्थन मिला है। साथ ही 19 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते का समर्थन किया। अमेरिका खुद को इससे दूर रखने वाला एक मात्र देश था जिसने घोषणा की कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व मं वह इस जलवायु करार से अलग हो रहा है।