नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को देश भर में सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व के मंदिरों के प्रबंधन, विशेषकर तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं और दान की गई नकदी और वस्तुओं के उपयोग के अध्ययन के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया।न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने कहा कि इससे तीर्थयात्रियों को बिना किसी परेशानी के इन तीर्थस्थानों पर पहुंचने और इन तीर्थस्थानों के पुजारियों और इनकी समितियों से संबंधित अन्य लोगों की धन उगाही से छुटकारा मिलेगा।न्यायमूर्ति गोयल ने कहा, “हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि इन धर्मस्थलों पर आने वाले भक्तों का शोषण न हो.. यहां गैरजरूरी दखलंदाजी, भ्रष्टाचार न हो और मंदिरों में आने वाले धन का दुरुपयोग न हो।”खंडपीठ ने कहा कि उसका प्रयास इन तीर्थस्थलों पर हजारों सालों से जा रहे तीर्थयात्रियों की भलाई की रक्षा करना है।सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश उस याचिका के जवाब में आया है, जिसमें ओडिशा के पुरी स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन में भ्रष्टाचार रोकने की मांग की गई है।सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को वैष्णो देवी मंदिर, तिरुपति मंदिर, शिर्डी स्थित साई बाबा मंदिर, सोमनाथ मंदिर और अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के प्रबंधन कार्यो का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया तथा श्री जगन्नाथ मंदिर का प्रबंधन बदलने की सलाह दी।शीर्ष अदालत ने श्री जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के कथित शोषण तथा वित्तीय प्रबंधन के संदर्भ में कई निर्देश जारी किए, जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले दान और चंदे शामिल हैं।न्यायालय ने कहा है कि मंदिर में देवी-देवताओं को चढ़ाए जाने वाले दान और चंदे सीधे मंदिर प्रबंधन के पास जाएंगे और मंदिर के पुजारी उसे नहीं ले सकते।न्यायालय ने कहा है कि मंदिर प्रबंधन मंदर के सेवकों, पुजारियों को उनके पारिश्रमिक भुगतान करेगा।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *