नई दिल्लीः सीबीआई विवाद मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सोमवार को अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। गौरतलब है कि न्यायालय ने सीवीसी को निर्देश दिया था कि वह सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की अपनी प्रारंभिक जांच दो हफ्ते के भीतर पूरी करे। केंद्र सरकार ने वर्मा से सारे अधिकार वापस लेकर उन्हें छुट्टी पर भेज दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने सीवीसी रिपोर्ट को रिकॉर्ड में ले लिया है। सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा एवं एनजीओ कॉमन कॉज की याचिकाओं पर सुनवाई 16 नवंबर को तय की। सीवीसी आलोक वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही है।

सॉलीसीटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक ने सीवीसी जांच की निगरानी की, जो 10 नवंबर को पूरी हुई। सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने भी एजेंसी प्रमुख के तौर पर 23 अक्टूबर के बाद से लिए गए अपने फैसलों पर रिपोर्ट दाखिल की।

वर्मा और अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद विवाद काफी गहरा गया था। बाद में केंद्र ने दोनों अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा दिया और दोनों से उनके सारे अधिकार वापस ले लिए थे। केंद्र के इन्हीं फैसलों को वर्मा ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वर्मा की अर्जी पर सुनवाई की। अब यह मामला न्यायमूर्ति गोगोई और न्यायमूर्ति एस.के. कौल की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है।

दो सदस्यीय पीठ से इस मामले की सुनवाई कराने का फैसला तब किया गया जब मुख्य न्यायाधीश ने हाल में पत्रकारों से अपनी अनौपचारिक वार्ता में कहा कि सोमवार और शुक्रवार को सिर्फ दो सदस्यों वाली पीठें बैठेंगी।
बीते 26 अक्तूबर को वर्मा की अर्जी पर हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने केंद्र और सीवीसी को नोटिस जारी किया था और सीवीसी को जांच पूरी करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया था।