soldiers-jump_1208443iगोरखा समुदाय के बलिदान दूसरों के लिए मिसाल हैं-डॉ. जितेन्द्र सिंह
नई दिल्ली,फील्ड मार्शल सैम मानेक्शॉ के प्रसिद्ध आकलन ‘अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता, तब वह या तो झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है’ का हवाला देते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायतें, परमाणु ऊर्जा, अतंरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज यह कहा कि गोरखा समुदाय ने राष्ट्र की जी-जान से सेवा की है और उनके बलिदान अन्य लोगों के लिए मिसाल हैं। वे असम गोरखा सम्मेलन के अध्यक्ष श्री अरूण उपाध्याय के नेतृत्व में उनसे मिलने आए असम गोरखा सम्मेलन के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर रहे थे। अपने समुदाय की लंबे समय से लंबित परिवेदनाओं को डॉ. जितेन्द्र सिंह के सामने रखते हुए प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम राइफल्स और गोरखा रेजीमेंट का इतिहास वास्तव में गोरखा सिपाहियों की बहादुरी का इतिहास है। लेकिन दुर्भाग्य से हाल के दिनों में भारत के सुरक्षाबलों में गोरखा युवाओं की भर्ती में गिरावट आई है क्योंकि उनसे गोरखा अधिवास प्रमाण-पत्र मांगा जाता है। इसके अलावा राजपत्र अधिसूचना के अनुसार गोरखों के लिए नेपाली शब्द भी समानार्थी रूप में प्रयोग किया जाता है जो भर्ती करने वाली एजेंसियों के लिए भ्रम की स्थिति पैदा करता है। प्रतिनिधिमंडल की यह मांग है कि असम गोरखा सम्मेलन द्वारा जारी गोरखा समुदाय प्रमाण-पत्र को सुरक्षा बलों में भर्ती या अन्य रोजगार के लिए सम्मान दिया जाए। उन्होंने समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा किए जाने, गोरखा रिहायसी क्षेत्रों को मिलाकर स्वायत्त परिषद चुनाव क्षेत्र बनाने गोरखा सांस्कृतिक और विरासत केंद्र स्थापित करने और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में गोरखा समुदाय को शामिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने की भी मांग की।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *