मेरठ,। बाढ़ अपने साथ केवल विनाश ही नहीं, बल्कि विकास की बयार भी लाती है। बंजर होती कृषि भूमि के लिए बाढ़ का पानी वरदान साबित हो रहा है। बाढ़ का पानी अपने साथ पहाड़ों से खनिज लवण बहाकर लाता है। जो खादर की बंजर जमीन के लिए उपजाऊ साबित हो रहे हैं। इस कारण खादर के इलाकों में बंपर फसल पैदा हो रही है।वेस्ट यूपी में गंगा, यमुना, हिंडन सहित कई नदियां बहती हैं। इन नदियों में हर साल बरसात के दिनों में बाढ़ आ जाती हैं। लाखों हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ की चपेट में आ जाता है। इससे फसलों के साथ-साथ जान-माल की हानि भी उठानी पड़ती है। यह प्राकृतिक आपदा विनाश का प्रतीक समझी जाती है। पर इस बाढ़ का दूसरा पहलू भी है। कृषि विभाग के अनुसार, बाढ़ केवल आपदा ही नहीं है, बल्कि खुशहाली भी लाती है। नदियों के किनारे के क्षेत्र को खादर कहते हैं। यह खादर का इलाका फसलों के लिहाज से बंजर माना जाता है। लेकिन हर साल आने वाली बाढ़ की बदौलत खादर की बंजर जमीन का स्वरूप बदल गया है। यहां की जमीन अब फसलों के रुप में सोना उगल रही है। इसका कारण बाढ़ के पानी में पहाड़ों से बहकर आने वाले सूक्ष्म पोषक तत्व है। मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए कई पोषक तत्वों की जरुरत पड़ती है। मगर रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के कारण किसान केवल तीन तत्व ही दे पा रहा है। बाकी तत्वों की मिट्टी में कमी होती जा रही है। जिसका प्रभाव घटते उत्पादन पर पड़ता है। लेकिन बाढ़ का पानी अपने साथ कई पोषक तत्वों को लाकर काफी कमी पूरी कर रहा है। इससे खादर की बंजर जमीन उपजाऊ होती जा रही है। हापुड़ के जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. सतीश मलिक ने बताया कि गाजियाबाद में हिंडन, यमुना और गंगा नदी की बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर खादर जमीन उपजाऊ हो चुकी हैं और यहां पर किसान बहुत अच्छी फसल उगा रहे हैं। इस जमीन में जिंक सल्फर, आयरन, मैगनीज, मैग्निशियम, बोरोन की मात्रा बढ़ रही है।
पोषक तत्वों के नाम
नाइट्रोजन, कार्बन, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंग, कॉपर, आयरन, मैगनीज, सल्फर, बोरोन।
कब बंजर होती है जमीन
मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा 0.2 प्रतिशत होने, फास्फेट 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहने पर जमीन बंजर हो जाती है। इसी प्रकार सल्फर, जिंक, लोहा, कॉपर, मैगनीज तत्व कम मात्रा में होने पर भी जमीन की उर्वरता खत्म हो जाती है। इसका बड़ा कारणरसायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग हैं।जैविक खेती है वरदानसूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करने में जैविक खेती सबसे उत्तम हैं। जैविक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करने से भूमि को कोई नुकसान नहीं पहुंचता और उत्पादन भी बढ़ता है। जिले में जैविक खेती का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है।