नई दिल्लीः सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूरी चयन प्रक्रिया की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने कहा है कि सीबीआई को यह जांच छह माह में पूरी करनी होगी। न्यायालय ने अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने के मामले में पहले महाधिवक्ता से पूछा था कि राज्य सरकार इस मामले की सीबीआई जांच कराने को तैयार है अथवा नहीं। जिस पर महाधिवक्ता द्वारा सरकार की ओर से सीबीआई जांच से इंकार कर दिया गया था।

इसके गुरुवार को न्यायालय ने यह बड़ा फैसला सुनाया। बार कोड बदलने पर कोर्ट सख्त यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने कई अभ्यर्थियों की दर्जनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि कुछ उत्तर पुस्तिकाओं के पहले पृष्ठ पर अंकित बार कोड अंदर के पृष्ठों से मेल नहीं खा रहे हैं। न्यायालय ने तब ही इस पर हैरानी जताते हुए कहा था कि उत्तर पुस्तिकाएं बदल दी गई हैं। इस पर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने मामले की पर्याप्त जांच का भरोसा दिया था।

दोषी अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे साथ ही यह भी आश्वासन दिया था कि इन मामलों में दोषी अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। जिसके बाद तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाकर मामले की जांच करने का दावा भी सरकार की ओर से किया गया लेकिन गुरुवार को सुनाए फैसले में जांच कमेटी के रवैये पर न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जिन अभ्यर्थियों को स्क्रूटनी में रखा गया था। उनके भी चयन पर अब तक निर्णय नहीं लिया गया। जांच कमेटी के सदस्यों पर ऐतराज न्यायालय ने कहा कि जांच कमेटी में दो सदस्य बेसिक शिक्षा विभाग के ही हैं। न्यायसंगत अपेक्षा के सिद्धांत के तहत दोनों को जांच कमेटी में नहीं रखा जाना चाहिए था क्योंकि उसी विभाग के अधिकारी उक्त जांच के दायरे में हैं। न्यायालय ने आगे कहा कि वर्तमान चयन प्रक्रिया पर भारी भ्रष्टाचार व गैर-कानूनी चयन के आरोप हैं।

सरकार से स्वतंत्र व साफ-सुथरे चयन की उम्मीद की जाती है लेकिन कुटिल इरादे से राजनीतिक उद्देश्य पूरा करने के लिए प्राथमिक विद्यालयों में बड़े पैमाने पर गैर कानूनी चयन किए गए। जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकारी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने किया भ्रष्टाचार न्यायालय ने कहा कि इस चयन प्रक्रिया के बावत कोर्ट प्रथम दृष्टया मानती है कि परीक्षा कराने वाले अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के द्वारा अपने उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद व अधिकारों को दुरुपयोग किया। जिन अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में कम मार्क्स मिले उन्हें अधिक मार्क्स दे दिए गए। वहीं कुछ अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं फाड़ दी गईं और पन्ने बदल दिए गए ताकि उन्हें फेल घोषित किया जा सके। बार कोडिंग में गड़बड़ी करने वाले को नहीं दिया दंड सरकार द्वारा बार कोडिंग की जिम्मेदारी जिस एजेंसी को दी गई थी।

उसने स्वयं स्वीकार किया है कि 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदली गईं। बावजूद इसके उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की गई। न्यायालय ने कहा कि इन परिस्थितियों में मजबूर होकर हम सीबीआई को इस पूरी चयन प्रक्रिया की जांच करने का आदेश देते हैं। न्यायालय ने सीबीआई को दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कानून सम्मत कार्रवाई करने को कहा है। इसके साथ ही जांच की प्रगति जानने के लिए मामले को 26 नवम्बर को लिस्टेड करने का भी आदेश दिया है।