चंपारण सत्याग्रह को ‘स्वच्छता’ से जोड़ते हुए सामाजिक आंदोलन चलायेगा केंद्र
चंपारण सत्याग्रह को ‘स्वच्छता’ से जोड़ते हुए सामाजिक आंदोलन चलायेगा केंद्र

नील की खेती को लेकर अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार इसे ‘स्वच्छता’ से जोड़ते हुए सामाजिक आंदोलन का बिगुल फूंक रही है और इस लक्ष्य को महात्मा गांधी की जयंती के 150 वर्ष पूरे होने पर साल 2019 में हासिल करने का संकल्प व्यक्त किया गया है।

चंपारण आंदोलन के 100 वर्ष पूरा होने पर केंद्र सरकार और बिहार सरकार मिलकर कार्यक्रम आयोजित कर रही है । इस सिलसिले में 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय अभिलेखागार में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय ‘गांधी के चंपारण आंदोलन से स्वच्छता आग्रह तक’ है।

इस अवसर पर गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी ढेर सारी जानकारियां और पांडुलिपियां प्रदर्शित की जायेंगी ।

देश के विभिन्न हिस्सों में स्वच्छता कार्यक्रत चलाने के साथ केंद्र सरकार खुले में शौच को समाप्त करने को प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ायेगी ।

कृषि मंत्री एवं चंपारण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद राधामोहन सिंह ने ‘भाषा’ से कहा कि इस अवसर पर चंपारण में 15 अप्रैल से एक सप्ताह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है । 15 अप्रैल को गांधीजी चंपारण पहुंचे थे । 16 अगस्त को उन्हें आगे बढ़ने से रोका गया और 18 अप्रैल को वे अदालत में पहुंचे । इस आंदोलन में गांधीजी को 20 अप्रैल को आंशिक सफलता मिली ।

उन्होंने कहा कि जिन रास्तों से गांधीजी गुजरे थे, उनसे होते हुए जन जागरूकता अभियान चलाया जायेगा ।

केंद्रीय बजट प्रस्तावों में भी चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित करने के संबंध में प्रस्ताव किया गया है । वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजटीय भाषण में कहा था कि इस साल चंपारण सत्याग्रह आंदोलन और साबरमती आश्रम की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं । बजट में इस संबंध में कार्यक्रमों के लिए वित्तीय मदद की घोषणा करते हुए कहा गया है कि इनके सौ बरस होने के उपलक्ष में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा था कि चंपारण सत्याग्रह के 100 साल हो गए हैं और यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा शुरु किए गए आरंभिक आंदोलनों में से एक था। भारत की आजादी के आन्दोलन में, गांधी विचार और गांधी शैली, इसका प्रकट रूप पहली बार चंपारण में नजर आया।

( Source – PTI )

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