निजीकरण और कॉर्पोरेटीकरण को बढ़ावा देने वाला बजट, आबंटन में पारदर्शिता भी नहीं : माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज संसद में पेश बजट को कॉरपोरेटों को बढ़ावा देने के लिए निजीकरण की लीक पर चसलने वाला बजट करार दिया है. अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि रेलवे में पीपीपी मॉडल को लाना पिछले दरवाजे से रेलवे का निजीकरण करना ही है. इसी प्रकार रिटेल क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने से छोटे व्यापारी बर्बाद ही होंगे. बीमा में 100% एफडीआई आम जनता के जीवन-सुरक्षा से खिलवाड़ करने है और मीडिया की स्वतंत्रता तो पूरी तरह से खत्म ही हो जाएगी. इस सरकार द्वारा शिक्षा नीति को बदलने का सीधा अर्थ है, शिक्षा को महंगा करना और इसमें हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण को घुसाना. पेट्रोल-डीजल पर सेस और एक्साइज कर बढ़ाने से चौतरफा महंगाई बढ़ेगी और आम जनता के जीवन की कठिनाई बढ़ेगी. 
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर यह बजट देश में आर्थिक असमानता की खाई को और चौड़ा करेगा, शहरों और गांवों की दूरी को बढ़ाएगा, खेती को बर्बाद करेगा और आम जनता के जीवन से जुड़ी किसी समस्या का समाधान नहीं करने वाला है. मनरेगा में 5000 करोड़ रुपये की वृद्धि के बावजूद, मुद्रास्फीति को गणना करने पर, रोजगार के अवसर को घटाने वाला है.
माकपा नेता पराते ने कहा कि इस सरकार ने बजट को ‘बही खाता’ कहा है, इससे ही स्पष्ट है कि वह देश की अर्थव्यवस्था को सूदखोर मुनीम की तरह चलाना चाहती है. इसलिए बजट में विभिन्न क्षेत्रों को आबंटित राशि को आम जनता के सामने पेश ही नहीं किया गया है. इससे स्पष्ट है कि यह सरकार बजट की पारदर्शिता को भी खत्म कर रही है.                                                            संजय पराते        

सचिव, माकपा , छग
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