जांच से जुड़े मामले में रिफंड से इनकार न करें, आयकर अधिकारी को निर्णय करने दें: अदालत
जांच से जुड़े मामले में रिफंड से इनकार न करें, आयकर अधिकारी को निर्णय करने दें: अदालत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि आयकर विभाग को उस आयकर दाता को राशि वापस करने से इनकार नहीं करना चाहिए जिनके मामले को जांच के अंतर्गत आगे बढ़ाया गया तथा आयकर अधिकारी के पास इस मामले में अंतिम लेने का विशेष अधिकार है। अदालत ने यह भी कहा कि कर आदेश का मतलब करदाताओं की समस्या बढ़ाना नहीं है।

न्यायाधीश एस मुरलीधर तथा न्यायाधीश विभू बखरू ने 11 मई को आदेश दिया कि इस संदर्भ में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड :सीबीडीटी: का जनवरी 2015 का निर्देश कानून के तहत बरकरार रखने योग्य नहीं है और उसे खारिज किया जाता है।

अदालत ने कहा कि सीबीडीटी का निर्देश रिटर्न की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से रोक कर आयकर अधिकारी के काम करने की स्वतंत्रता में कटौती है। इस मामले में आयकर कानून की धारा 143 :2: के तहत करदाता को नोटिस जारी किया गया था।

धारा 143 :2: जांच की प्रक्रिया से संबंधित हैं। इसके तहत आयकर विभाग अंतिम रूप से आईटी रिटर्न की प्रक्रिया के लिये अतिरिक्त दस्तावेज तथा ब्योरा मांगता है।

अदालत ने सीबीडीटी के रिफंड से इनकार से जुड़े निर्देश को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे रिटर्न की प्रक्रिया के बारे में संबंधित आयकर अधिकारी धारा 143 :1 डी के तहत: :जांच के बाद आकलन: निर्णय करेगा।

पीठ ने स्पष्ट किया कि करदाता के हित सबसे उपर हैं और सीबीडीटी की शक्तियांे की कुछ सीमाएं हैं।

अदालत ने यह फैसला टाटा टेलीसर्विसेज लि. की याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया था कि उसे तीन आकलन वर्ष 2012-13, 2013-14 तथा 2014-15 के लिये रिफंड देने से इनकार किया गया और यह सीबीडीटी निर्देश के तहत किया गया। मामला जांच के लिये लंबित था और धारा 143 :1डी: के संदर्भ में तथा सीबीडीटी के निर्देश पर रिफंड को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।

( Source – पीटीआई-भाषा )

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