वैदिक साधन आश्रम देहरादून में सामवेद पारायण यज्ञ सोत्साह सम्पन्न
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।
वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून आर्यजगत् की योग, ध्यान एवं साधना के क्षेत्र की अग्रणीय राष्ट्रीय संस्था है। इसकी स्थापना लगभग 70 वर्ष पूर्व महात्मा आनन्द स्वामी सरस्वती जी की प्रेरणा से अमृतसर के बावा गुरमुख सिंह जी ने की थी। संस्था का स्वर्णिम इतिहास है। आश्रम में ध्यान एवं साधना सहित यज्ञ एवं स्वाध्याय आदि की समुचित सुविधायें सुलभ हैं। अतीत में यहां अनेक महात्माओं व योगियों ने योग एवं ध्यान की साधनायें की हैं। इन साधकों में महात्मा आनन्द स्वामी जी का विेशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त महात्मा प्रभु आश्रित जी, महात्मा दयानन्द वानप्रस्थी जी, स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती जी ने भी यहां योग साधनायें की है। आश्रम में वर्ष भर यज्ञ, स्वाध्याय, व्याख्यान आदि के आयोजन होते रहते हैं। आश्रम के अन्तर्गत एक गोशाला, जूनियर हाईस्कूल का संचालन भी किया जाता है। आश्रम की दो इकाईयां हैं जहां साधना के लिए शुद्ध वातावरण से युक्त शान्त स्थान है। आश्रम में वर्ष में दो बार ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव आयोजित किये जाते हैं। जीवन निर्माण शिविरों का आयोजन भी होता रहता है तथा वेद पारायण यज्ञ भी समय समय पर होते रहते हैं।

आज दिनांक 21-8-2021 को वैदिक साधन आश्रम तपोवन में चार दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ का सफलतापूर्वक सोत्साह समापन हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा आर्यसमाज के विख्यात विद्वान एवं संन्यासी स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी थे। यज्ञ में डा. वीरपाल विद्यालंकार, श्री शैलेशमुनि शैलेश जी, पं. सूरत राम शर्मा जी, भजनोपदेशक पं. रुहेलसिंह आर्य जी आदि का सान्निध्य भी यजमानों व धर्मप्रेमियों को प्राप्त रहा। हमें कल दिनांक 20-8-2021 तथा आज 21-8-2021 को आश्रम जाने का अवसर मिला और हमने कार्यक्रमों में उपस्थित होकर लाभ प्राप्त किया है। आज सामवेद पारायण यज्ञ की पूर्णाहुति सम्पन्न हई। पूर्णाहुति के बाद स्वामी जी ने ईश्वर से सामूहिक प्रार्थना की। स्वामी जी ने प्रार्थना में ईश्वर के अनेक उपकारों को स्मरण किया। स्वामी जी की बोलने की गति और हमारे लिखने की न्यून गति के कारण हम उनके सभी विचारों को लेखबद्ध नहीं कर सके। कुछ बातें ही हम नोट कर सकें। स्वामी जी ने ईश्वर को करुणानिधान शब्द से सम्बोधित किया और कहा कि हमने जो यज्ञ किया है इसमें हमारा अपना कुछ नहीं है। हे ईश्वर! आप उदार हैं। हे देव! आपने विशाल भूमि को हमारे रहने के लिए ही बनाया है। आपने पृथिवी बनाकर हम मनुष्य आदि प्राणियों के उपयोग व उपभोग की समस्त सामग्री जिसमें अन्न, जल, वायु सहित अनेक प्रकार के रत्न व खनिज भी हैं, इसमें डाल दिये हैं। हम मनुष्य संसार में रहते हुए आपको व अपने जीवन के लक्ष्य को भुला देते हैं और जन्म जन्मान्तरों में भटकते रहते हैं। 

स्वामी जी ने प्रार्थना करते हुए कहा कि ईश्वर ने कृपा करके हमें ऋषियों के इस महान देश भारत में जन्म दिया है। आपकी कृपा से ही हम ईश्वर, वेद तथा वैदिक परम्पराओं से जुड़े हैं। जो मनुष्य व भक्त आपकी उपासना करता है, उसे आप कोई दुःख नही होने देते। आपका उपासक व भक्त सुख व आनन्द का अनुभव करता है। हे जगदीश्वर! आपने हमारे देश में ऋषि दयानन्द की एक महान आत्मा को जन्म दिया था। उन्होंने हमें वेद प्राप्त कराये और जीवन जीने का सत्य मार्ग दिखाया। स्वामी जी ने अपनी प्रार्थना में ईश्वर से भारत व विश्व से कोरोना रोग को दूर करने की प्रार्थना की। स्वामी जी ने सभी देशवासियों की कोरोना आदि रोगों से रक्षा करने की प्रार्थना भी परमेश्वर से की। स्वामी जी ने कहा देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी देश की प्रशंसनीय सेवा कर रहे हैं। स्वामी जी ने मोदी जी को दी जाने वाली धमकियों एवं उनकी झूठी आलोचनाओं की चर्चा भी की। स्वामी जी ने परमात्मा से मोदी जी की उनके सभी विरोधियों से रक्षा करने की प्रार्थना की और कहा कि मोदी जी देश हित के कार्यों को करते रहें और उन्हें देश एवं समाज हित सहित मानवता के उपकार के सभी कार्यों व उद्देश्यों में सफलता प्राप्त हो।  स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर कृपा करें जिससे मोदी जी अपने उद्देश्य में सफल हों।

स्वामी जी ने प्रार्थना की कि ईश्वर सभी रोगियों एवं दुखियों के कष्टों को दूर करें। सबका कल्याण हो। इसी के साथ स्वामी जी ने ईश्वर से अपनी प्रार्थना को पूरा किया। इस प्रार्थना के बाद सामूहिक यज्ञ प्रार्थना हुई जिसे यजमानों व धर्मप्रेमियों ने आर्य भजनोपदेशक श्री रुहेल सिंह आर्य जी के स्वरों के साथ बोलकर मधुरता से पूरा किया। यज्ञ प्रार्थना के पश्चात स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने सभी यजमानों सहित धर्मप्रेमी श्रोताओं को वैदिक वचनों को बोल कर आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि सभी यजमानों का कल्याण व मंगल हो। सब  परस्पर मधुर व्यवहार करें। हमारा ज्ञान बढ़े तथा हमारी सम्पत्ति भी बढ़े। 

यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद स्वामी जी ने एक ऋषिभक्त साधक श्री आत्ममुनि वानप्रस्थी जी को संन्यास की दीक्षा दी। श्री आत्ममुनि जी अनेक वर्षों से वैदिक साधन आश्रम में रहकर साधना कर रहे हैं। उन्होंने तीन वर्ष तक मौन साधना भी की है। संन्यास के बाद उनको स्वामी आत्मानन्द सरस्वती नाम दिया गया। यह भी बता दें कि आश्रम का आगामी शरदुत्सव 20 अक्टूबर, 2021 से 24 अक्टूबर, 2021 तक आयोजित किया जा रहा है। इस उत्सव में भाग लेकर आत्मोन्नति का लाभ प्राप्त किया जा सकता है जो परजन्म में भी हमारे सुख व उन्नति का कारण होगा। 

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