कर प्रशासन 162 कंपनियों के जीएसटी से पहले के बकाया दावे की जांच करेगा
कर प्रशासन 162 कंपनियों के जीएसटी से पहले के बकाया दावे की जांच करेगा

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के संक्रमण काल के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट बकाये का दावा करने वाली 162 कंपनियां अब कर प्रशासन की जांच के दायरे में है। कर प्रशासन की जांच के बाद ही तय होगा कि इन कंपनियों के दावे सही हैं या नहीं।

जुलाई में अपना पहला जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के साथ ही कंपनियों ने बकाया दावा के लिए ट्रान-1 फॉर्म भी दाखिल किया था। इन कंपनियों ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) के तहत 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाये का दावा किया था।

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने भारी-भरकम दावों को देखते हुए मुख्य आयुक्तों को पत्र भेजा था। उसमें बोर्ड ने कहा था कि जीएसटी व्यवस्था की संक्रमण अवधि का बकाया तभी भुगतान किया जाएगा जब यह कानून के तहत मान्य होगा। सीबीईसी ने कहा, ‘‘गलती से या गलतफहमी में अयोग्य बकाया दावा किये जाने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। एक करोड़ रुपये से अधिक के बकाये के दावों की तय समय सीमा में जांच होनी चाहिए।’’ बोर्ड ने मुख्य आयुक्तों को कहा है कि इन 162 कंपनियों के दावों पर 20 सितंबर तक एक रिपोर्ट दें। सीबीईसी ने जीएसटी प्रणाली के तहत सिर्फ योग्य दावों को ही आगे बढ़ाया जाना सुनिश्चित करने के लिए फील्ड ऑफिसरों से कहा है कि वे नये दाखिल रिटर्न को पुरानी व्यवस्था के तहत दाखिल रिटर्न से मिलाएं। उन्हें यह भी जांचने के लिए कहा गया है कि ये दावे जीएसटी कानून के तहत योग्य हैं या नहीं।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह तक कुल 59.97 लाख करदाताओं में से 70 प्रतिशत ने जुलाई का रिटर्न दाखिल कर दिया था। इससे सरकार को जीएसटी के तहत 95 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। हालांकि इनमें से 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाये का दावा कंपनियों ने कर दिया।

( Source – PTI )

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *