भारत में आर्थिक सुधारों के लिए अगले दो-तीन वर्ष बेहद महत्वपूर्ण : जेटली
न्यूयार्क,। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत में अगले दो-तीन साल बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार कई सुधार कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की योजना बना रही है जिससे देश को सात से 7.5 प्रतिशत की दर से अधिक वृद्धि का निर्दिष्ट लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जेटली ने कल यहां कहा कि भारत में न सरकार, न जनता और न ही उद्योग सात से 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के बारे में बहुत उत्साहित है क्योंकि हर किसी को जिनमें मैं और प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, अहसास है कि शायद हमारी क्षमता इससे कहीं ज्यादा है।काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस द्वारा निवेश कंपनी वारबर्ग पिंकस के अध्यक्ष और पूर्व वित्त मंत्री टिमोथी गेटनर के साथ आयोजित परिचर्चा में जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में काफी फासला तय किया है। उन्होंने कहा कि यह फासला तय करने के बाद अगले 2-3 साल विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के कारण बेहद महत्वपूर्ण होंगे जो अभी प्रक्रिया में है और उन सबका कार्यान्वयन करना है। हमने अब समस्या वाले सभी क्षेत्रों की पहचान कर ली है और एक-एक करके जैसे-जैसे हम उनका समाधान करेंगे, उम्मीद है कि हमें अपने निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंच जाना चाहिए।अमेरिका की 10 दिन की यात्रा पर आए जेटली ने कहा कि वृहद-आर्थिक संकेतक और आंकड़े अच्छे नजर आ रहे हैं लेकिन आकांक्षा कहीं अधिक है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कहा कि अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत की विश्वसनीयता डांवाडोल की जा रही थी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में हमने अपनी राह एक बार फिर खो दी थी। राह खोने की वजह यह थी कि राजनीतिक संचालन और नीति के लिहाज से हमने गलती की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक संचालन के लिहाज से सरकारी तंत्र के भीतर प्रधानमंत्री की राय अंतिम नहीं होती थी। सत्ता सरकारी तंत्र से बाहर थी जैसा कि वामपंथी देशों में होता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक शक्ति के बगैर निर्णय प्रक्रिया ठहर गई। प्रधानमंत्री की राय आखिरी नहीं होती थी और एक गंभीर आशंका थी कि गलत वजहों से फैसले किए जा रहे हैं या नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतिगत मामलों में जहां गलती हुई वह यह थी कि सरकार उत्पादकता बढ़ाने या संपत्ति सृजन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय जो देश का पास पहले से था उसके सिर्फ वितरण पर ध्यान केंद्रित करने लगी। उन्होंने कहा कि इससे बात नहीं बनी। हम वैश्विक राडार से बाहर हो रहे थे लेकिन भारत में 1970 के दशक और इस पीढ़ी के बीच बड़ा बदलाव आया है जबकि लोग बेचैन हैं और वे जानते हैं कि यह हमारी वास्तविक क्षमता नहीं है।जीएसटी सुधार के संबंध में जेटली ने कहा कि आम तौर पर समिति में इसके संबंध में सहमति है। जेटली ने कहा कि सरकार एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करना चाहती है। एफडीआई के लिए कुछ अन्य क्षेत्रों को खोलने के संबंध में पूछने पर जेटली ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में समीक्षा की है। यदि आप उम्मीद करते हैं कि हर क्षेत्र की निवेश सीमा तुरंत बढ़ जाएगी तो शायद ऐसा न हो लेकिन सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। भूमि सुधार पर जेटली ने कहा कि 2013 के भूमि कानून की किसान अनुकूल कानून के तौर पर गलत व्याख्या की गई थी। यह दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के लिए सबसे प्रतिकूल कानून है क्योंकि यह सिंचाई परियोजना, ग्रामीण इलाके में सड़कें, ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजनाओं के लिए बाधा पैदा करता है क्योंकि यह उनके लिए भूमि उपलब्ध नहीं कराता।उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण इलाकों में सस्ते आवास और उद्योग की स्थापना के लिए बाधा पैदा करता है जो इन इलाकों में रोजगार के वैकल्पिक स्रोत मुहैया करा सकता है। जेटली ने कहा कि विनिर्माण के संबंध में भूमि मुद्दा है लेकिन मुझे नहीं लगता कि इतना बड़ा मुद्दा होगा। मैं भूमि विधेयक पर जोर दे रहा हूं क्योंकि ग्रामीण रिहायश के पास भूमि उपलब्ध है और गांव वहां रोजगार सृजन कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कुछ क्षेत्रों में निजीकरण करेगी और पहली बार वाणिज्यिक खनन की अनुमति होगी।