मुंबई की एक विशेष टाडा अदालत ने वर्ष 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 24 साल बाद मुख्य मास्टरमाइंड मुस्तफा दोसा और प्रत्यपर्ति कर भारत लाए गए गैंगस्टर अबू सलेम समेत छह लोगों को आज दोषी ठहराया। इन धमाकों में 257 लोग मारे गए थे।
बहरहाल, सबूतों के अभाव में एक आरोपी अब्दुल कयूम को बरी कर दिया गया। यह मुकदमे की सुनवाई का दूसरा चरण था।
सभी सातों आरोपियों ने आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना और हत्या समेत कई आरोपों का सामना किया।
वर्ष 2007 में पूरी हुई पहले चरण की सुनवाई में टाडा अदालत ने इस मामले में 100 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 23 लोगों को बरी कर दिया गया था।
सात आरोपी अबू सलेम, मुस्तफा दोसा, करीमुल्लाह खान, फिरोज अब्दुल राशिद खान, रियाज सिद्दिकी, ताहिर मर्चेंट और अब्दुल कयूम के मौजूदा मुकदमे मुख्य मामले से अलग चले क्योंकि इन्हें मुख्य मुकदमे की सुनवाई खत्म होने के समय गिरफ्तार किया गया। इन घातक हमलों में 257 लोग मारे गए, 713 लोग गंभीर रूप से घायल हुए और 27 करोड़ रपये की संप*ि++++++*ा नष्ट हुई थी।
विशेष न्यायाधीश जी ए सनाप ने रियाज सिद्दिकी के अलावा सभी अन्य पांचों दोषियों को टाडा, विस्फोटक अधिनियम, विस्फोटक सामग्री अधिनियम, हथियार कानून और सार्वजनिक संप*ि++++++*ा विध्वंस रोकथाम कानून के तहत अपराधों के अलावा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत हत्या, आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया।
सिद्दिकी को केवल अबू सलेम और अन्य की हथियारों को लाने में मदद करने के लिए टाडा के तहत दोषी पाया गया।
बहरहाल, अदालत ने सातों आरोपियों को इस मामले में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप से मुक्त कर दिया।
( Source – PTI )