नेटवर्क शुल्क पर आपरेटर का ट्राई के हलफनामे का हवाला देना तथ्यों को तोड़मड़ोड़ना : सीओएआई
नेटवर्क शुल्क पर आपरेटर का ट्राई के हलफनामे का हवाला देना तथ्यों को तोड़मड़ोड़ना : सीओएआई

सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया :सीओएआई: ने आरोप लगाया है कि कुछ आपरेटर कॉल टर्मिनेशन शुल्क को समाप्त करने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण :ट्राई: के 2011 में उच्चतम न्यायालय में दिए गए हलफनामे का हवाला दे रहे हैं जो तथ्यों को तोड़मड़ोड़ कर पेश करना है। इससे जनता के बीच भ्रम फैल रहा है।

सीओएआई ने दावा ऐसे समय किया है जबकि ट्राई द्वारा कॉल कनेक्ट शुल्क की समीक्षा की जा रही है। यह एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसे मौजूदा आपरेटरों तथा नयी कंपनी रिलायंस जियो के बीच मुद्दा बना हुआ है।

दूरसंचार कंपनियां अन्य आपरेटरों के नेटवर्क से आने वाली इनकमिंग कॉल्स पर इंटरकनेक्शन प्रयोग शुल्क या आईयूसी लगाती हैं। फिलहाल यह टर्मिनेशन शुल्क 14 पैसे प्रति मिनट है। जियो चाहती है कि आईयूसी को समाप्त कर दिया है। टर्मिनेशन शुल्क में किसी तरह की बढ़ोतरी से मौजूदा आपरेटरों को फायदा होगा क्योंकि उनके नेटवर्क पर ऐसे नेटवर्क से अधिक कॉल आएंगी जहां वॉयस कॉल मुफ्त है। मौजूदा आपरेटरों का कहना है कि कॉल टर्मिनेशन शुल्क 30 से 35 पैसे प्रति मिनट बैठता है।

बिल एंड कीप या बीएके व्यवस्था में आपरेटर सिर्फ इनकमिंग कॉल का रिकॉर्ड रखेंगे लेकिन वे अन्य आपरेटरों से इसके लिए कोई मांग नहीं रख सकेंगे।

ट्राई को 22 जुलाई को लिखे ताजा पत्र में सीओएआई ने कहा है कि कई भागीदारों ने मौजूदा खुले सत्र में दावा किया कि 2011 में ट्राई ने बीएके व्यवस्था को दो साल में लागू करने बात कही है। सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने पत्र में कहा कि यह स्पष्ट है कि ट्राई ने उच्चतम न्यायालय में अपने हलफनामे में बिल एंड कीप को लागू करने के लिए ट्रैफिक समरूपता के बारे में ब्योरा दिया था। ट्राई ने आईयूसी 2015 को तय करते समय मौजूदा ट्रैफिक संतुलन पर विचार करने के बाद पाया कि बिल एंड कीप का क्रियान्वयन उचित नहीं होगा।

( Source – PTI )

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