भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी को 14 साल से ज्यादा सक्रिय पत्रकारिता का अनुभव है। सक्रिय पत्रकारिता के बाद वह शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। वह ‘माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी‘ (एमसीयू) में तकरीबन 10 साल तक मास कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष रहे हैं।

प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने न सिर्फ एक पत्रकार के रूप में बल्कि एक शिक्षाविद के रूप में भी समाज को नई दिशा देने का काम किया है। उनके अनुसार अब प्रभाव और अवसर तो हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं में ही है। उनका कहना है कि बांग्ला, मलयालम जैसी भाषाओं में शानदार और बेहतरीन काम हुए हैं। तेलुगु और कन्नड़ के साथ भी ऐसा ही है।

डिजिटल को लेकर वह आशान्वित है और उनका मानना है कि सबने इस माध्यम को अपनाया है। प्रो. संजय द्विवेदी का कहना है कि अगर आज आप टॉप 10 न्यूज पोर्टल्स को देखेंगे तो पाएंगे कि जो पहले से स्थापित मीडिया घराने हैं, सबसे अधिक दर्शक उन्हीं के पास हैं।

उनके अनुसार आज कोरोना ने हमको सिखाया कि इस देश में हेल्थ कम्युनिकेशन पर काम करने वाले लोग नहीं हैं। स्वास्थ्य पर काम करने वाले और लिखने वाले पत्रकार तक हमारे पास नहीं हैं और यही कारण है कि तमाम फालतू खबरें उस बीमारी को लेकर चलाई गईं।

ट्विटर को लेकर पिछले दिनों हुए काफी विवाद को लेकर उनकी राय है कि हम एक स्वयंभू राष्ट्र हैं। अगर इस तरह कोई भी अपनी मनमानी करेगा तो देश में संवैधानिक संकट आ सकता है। इस देश में कई मत, सम्प्रदाय को मानने वाले लोग रहते हैं और ऐसे में हम किसी प्लेटफार्म को अपनी मनमानी करने नहीं दे सकते हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *