मुंबई। राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागर सूरीश्वर महाराज ने कहा है कि वर्तमान माहौल में व्यापार और व्यापारी दोनों बरबाद हो रहे हैं। सरकार का सारा ध्यान कोरोना संक्रमण को रोकने की तरफ है। हालत गंभीर है और समय सावधान होने का है। ऐसे में  व्यापार को बचाने के लिए अर्थशास्त्रियों, सीए, वित्त विशेषज्ञ, निवेशक, वित्तीय सलाहकार, बैंकर, फाइनेंसर आदि सभी मिलकर व्यापार को बचाने की राह तलाशनी चाहिए। क्योंकि व्यापार बचेगा, तो ही समाज व देश  बचेगा। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार से लंबी बातचीत में राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागर ने ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा है कि बदले हुए माहौल में अब जो भी पुराने एवं परंपरागत तरीकों से व्यापार करेगा, उसका विकास रूक जाएगा।अब नए तरीकों को अपनाने की जरूरत है।

कोरोना संकटकाल में आज जब व्यापार और व्यापारी सबसे बड़े संकट का सामना कर रहे हैं, ऐसे में चंद्रानन सागर मानते हैं कि बदले हुए वक्त में पुराने और परंपरागत तरीकों से जीवन आगे नहीं बढ़ेगा। यह विकास के नए रास्ते तलाशने का वक्त है। वर्तमान हालात एवं भविष्य की संभावनाओं पर राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागर से हुई इस विशेष बातचीत में उन्होंने कहा है कि देश के हर व्यक्ति में असंभव को भी संभव करने की अनंत संभावनाएं नीहित है।  धार्मिक व सामाजिक परंपराओं का पालन करते हुए नए जमाने में, नए जीवन के, नए रास्तों से, नए विकास के, नए विकल्प तलाशने के लिए विख्यात राष्ट्रसंत चंद्रानन सागर ने इस विशेष बातचीत में कहा कि फिलहाल जो आर्थिक संकट चल रहा है, उसे सुधारने में योगदान करने के लिए प्रोफेशनल्स को भी अपना योगदान देना चाहिए। वे नए हालात के हिसाब से नई प्लानिंग करके नए तरीके से व्यापार को आगे बढ़ाने में बेहतर योगदान दे सकते है। ताकि व्यापार चलेगा, तो समाज चलेगा, देश चलेगा और जीवन चलेगा।  

कोरोना संक्रमण के इस खतरनाक दौर को अब तक का सबसे मुश्किल दौर बताते हुए चंद्रानन सागर ने कहा है कि यब बदलाव का वक्त है। इसलिए अपने व्यापार करने के तरीकों को बदलना होगा।  संकट के इस दौर में जो हिम्मत हार गया, वह जीवन से हार जाएगा। इसलिए यह हिम्मत के साथ आगे बढ़ने का समय है।  भविष्य पर चिंता जाहिर करते हुए नई सोच और नए विचारवाले के प्रभावशाली संत चंद्रानन सागर ने कहा कि आज कोरोना महामारी के दौर में जब, पूरी दुनिया एक अनचाहे संकट के दौर से गुजर रही है, हर व्यक्ति दुखी है। ऐसे में धर्म, नीति, नियम और आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए नए सिरे से नई जिंदगी शुरू करके ही इस मुश्किल दौर से निकला जा सकता है। आज हमारे सारे परंपरागत धंधे बंद है, लेकिन विदेशी कंपनियों के धंधे लॉकडाउन में भी तेजी से चल रहे हैं। इसलिए कोई नई राह तलाशे बिना विकास नहीं होगा। क्योंकि व्यापार चलेगा, तो ही समाज बचेगा। उन्होंने कहा कि हम देश की बेहतरी और समृद्धि के लिए जो कुछ भी कर सकते है, उसे करने के लिए तैयार है। लेकिन यह सब व्यापार बचेगा तभी संभव होगा। कोरोना  महासंकट नए आर्थिक विकास के रास्तों सी संभावनाएं लेकर आया है। यह पहले जैसा वक्त नहीं है। वक्त बदला है। सो, अपने तरीके भी बदलिए, तभी व्यापार बचेगा और समाज फिर से विकसित होगा।  वरना, समाज को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।

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