Jenugoodu नाम सुनकर आप चौकेंगे लेकिन सच में ये उत्तर कन्नड़ जिले में युवाओं का एक व्हाट्स एप ग्रुप है। युवाओं ने इस ग्रुप के जरिये स्वच्छता की मुहिम को रंग देने की नायाब कोशिश की है।
ग्रुप एक जरिया है युवाओं के जुड़ने का। फिर चाहे मंदिर हो, सड़क पर चल रही स्वच्छता हो, या विद्यालयों में चल रहा स्वच्छता कार्यक्रम। सभी युवा इकट्ठा हो लेते हैं।
हर तरफ युवाओं के इस ग्रुप की चर्चा है। स्कलों, गांवों में इसकी खासियत गिनाई जा रही है। नौजवानों की इस टोली से स्वच्छ भारत मिशन को गति मिल रही है।
जब मेरा बेटा अपने कार्यालय संबंधी विदेश-यात्रा पर होता है तो मैं अपनी सेवानिवृति के बीच प्रौद्योगिकी के माध्यम से कभी कभी घर के सुख-साधन में पर्यटक बना गूगल मैप्स के “स्ट्रीट व्यू” पर वहां के वातावरण का आनंद लेता हूँ| विशेषकर भारत में स्वच्छ-भारत के अभियान के ध्यान से दक्षिण अमरीका में गरीब देशों के शहरों में गूगल मैप्स पर “भ्रमण करते” मैं प्राथमिक पाठशाला में अपने अध्यापक द्वारा “फटा पहनो पर उजला पहनो” कहते उन्हें आज भी “सुन” सकता हूँ| प्रकृतिक सुन्दरता के बीच साफ़ गली कूचों में वहां साधारण मकान भी उजले दिखाई देते हैं| वैसे भी देश विदेश का भ्रमण करते मैंने पाया है कि जब पाश्चात्य देशों में विशेषकर छोटे शहरों व गाँवों में बाहर सड़क पर बहुत कम लोगों को देखा जाता है वहां भारत में प्रायः लोग घरों के बाहर बड़े बड़े झुरमुटों में दिखाई देते हैं| लगता है कि यही एक बड़ा कारण है कि हमारे बाजारों गली कूचों में गंदगी दिखाई देती है क्योंकि गंदगी फैलाने वाले बहुत हैं और सफाई कोई करना नहीं चाहता| स्वेच्छा-कर्मी युवा किसी अभियान के अंतर्गत स्वच्छता का प्रचार प्रसार अवश्य कर सकते हैं परन्तु स्थाई रूप से ऐसा केवल कुशल योजना और उन्हें कार्यरत करने से ही हो सकता है| मैं देश भर में गंदगी को शूद्र का अभिशाप कहता हूँ| यदि सफाई कर्मचारी को उसके काम से जो कोई दूसरा करने को तैयार नहीं है अच्छी तनख्वाह दी जाए तो भारत में तथाकथित ऊंची जाति वाले भी हाथ में झाड़ू थाम लें!