नई दिल्ली, पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आज दुनिया भर में मनाये जा रहे कार्यक्रम की कमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां लगभग 35 हजार लोगों के साथ ‘राजपथ को योगपथ’ में बदलते हुए संभाली और कहा कि योग अ5यास का यह सूरज ढलता नहीं है। साथ ही उन्होंने आगाह किया कि योग बिकने वाली वस्तु या किसी की ‘बपौती’ नहीं बनायी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने योग को परिभाषित करते हुए इसे जीवन को जीभर कर जीने की जड़ीबूटी बताया और कहा कि यह मानव मन को शांति और सौहार्द के लिए उन्मुख करने की एक पारंपरिक कला है।मोदी ने राजपथ पर आयोजित विशेष योग सत्र में कराये गए योग के 21 आसनों में खुद भी अधिकांश आसनों में हिस्सा लिया। राजपथ पर योग करने वालों में प्रधानमंत्री के अलावा दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा समेत बड़ी संख्या में विदेशी राजनयिकों ने हिस्सा लिया।यह पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 192 देशों के 251 से अधिक शहरों में मनाया जा रहा है। यही नहीं दुनिया के सबसे उंचे युद्ध स्थल सियाचिन से लेकर समुद्र में भारतीय युद्धपोतों पर भी योग किया गया।इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने यहां राजपथ पर वृहद योग कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा, ‘‘ पूरब से पश्चित तक सूरज की पहली किरण जहां जहां पड़ेगी और 24 घंटे बाद सूरज की किरण जहां समाप्त होगी..ऐसा कोई स्थान नहीं होगा जहां योग नहीं हो रहा हो। और पहली बार दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि यह सूरज योग अ5यासी लोगों के लिए है और योग अ5यास का यह सूरज ढलता नहीं है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘ हम केवल इसे एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव के मन को शांति के नये युग की ओर उन्मुख बना रहे हैं। यह कार्यक्रम मानव कल्याण का है और शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सद्भाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।’’ राजपथ के बाद विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन में उन्होंने आगाह किया, ‘‘ योग को कमोडिटी बना दिया तो योग का ही सबसे बड़ा नुकसान होगा.. योग को आगे बढाने में दुनिया के अन्य क्षेत्र के लोगों का योगदान भी है। हम उनके भी आभारी है। हम इसे अपनी बपौती बना कर नहीं रखें। यह मानव का है।