अच्छा नाम‌

तीन पांच तू मत कर छोटू,
मैं दो चार लगाऊंगा|
तेरे सिर पर बहुत चढ़े हैं,
मैं सब भूत भगाऊंगा|

यही ठीक होगा अब बेटे,
मेरे  सम्मुख ना आना,
जब भी पड़े सामना मुझसे,
नौ दो ग्यारह हो जाना|

कभी न पड़ा तीन तेरह में,
सीधा सच्चा काम रहा|
नहीं चार सौ बीसी सीखी|
इससे अच्छा नाम रहा

Previous articleदादाजी का डंडा
Next articleकोयला-कालिख की जवाबदेही
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

1 COMMENT

  1. यह अन्ना जी ने केजरी वाल को सुनाया लगता है।
    बहुत सटीक बैठता है।
    =====>”तीन पांच तू मत कर छोटू,
    मैं दो चार लगाऊंगा|”
    ===>अंत भी सही है।
    ===>”कभी न पड़ा तीन तेरह में,
    सीधा सच्चा काम रहा|”
    नहीं चार सौ बीसी सीखी|
    इससे अच्छा नाम रहा।
    वाह !

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here