तीन पांच तू मत कर छोटू,
मैं दो चार लगाऊंगा|
तेरे सिर पर बहुत चढ़े हैं,
मैं सब भूत भगाऊंगा|
यही ठीक होगा अब बेटे,
मेरे सम्मुख ना आना,
जब भी पड़े सामना मुझसे,
नौ दो ग्यारह हो जाना|
कभी न पड़ा तीन तेरह में,
सीधा सच्चा काम रहा|
नहीं चार सौ बीसी सीखी|
इससे अच्छा नाम रहा
यह अन्ना जी ने केजरी वाल को सुनाया लगता है।
बहुत सटीक बैठता है।
=====>”तीन पांच तू मत कर छोटू,
मैं दो चार लगाऊंगा|”
===>अंत भी सही है।
===>”कभी न पड़ा तीन तेरह में,
सीधा सच्चा काम रहा|”
नहीं चार सौ बीसी सीखी|
इससे अच्छा नाम रहा।
वाह !