निर्णायक कदम का लंबा इंतजार

हमारी वतनपरस्ती उस समय सर चढकर बोलने लगती है जब कोई दूसरा मुल्क हमारी सीमाओं के साथ या हमारे अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी करने का प्रयास करने लगता है । मेरा सीधा अभिप्राय पाकिस्तान और चीन से है जिनमें पाकिस्तान ने पिछले लंबे समय से भारत विरोधी आतंकी गतिविधियाॅं जारी रखी हैं और चीन ने हमारी सीमा का अतिक्रमण करने का कुत्सित प्रयास किया है ।
इनके जवाब में हम केवल इन बातों का ही ढिंढोरा पीटकर रह जाते हैं कि पाकिस्तान तो भारत के एक छोटे से प्रान्त के बराबर है, वह क्या हमारी बराबरी करेगा । वतनपरस्तों के मुॅंह से लगभग पच्चीस साल से अधिक पहले से हम यह सुनते आये हैं कि हमें केवल अडतालीस घंटों का समय दिया जाये तो हम पूरे पाकिस्तान में रोलर चलवा देंगे । पता नहीं इन बातों को अब तक आधिकारिक रूप किसलिये नहीं दिया गया तथा किस बात की प्रतीक्षा की जा रही है । अब पाकिस्तान एक परमाणु ताकत बन चुका है और हम आज भी वही बातें दोहराने में लगे हैं । जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ हमारे समस्त व्यापारिक समझौते आज भी चल रहे हैं ।
जब चीन द्वारा आॅंखें तरेरने और भारत की सीमाओं के अतिक्रमण की बात आती है, हम पिछले तीन सालों से लगभग सभी त्योहारों और पर्वों पर यह कहते आये हैं कि चीनी सामान का उपयोग बंद करो । ऐसी अपील करने वाले स्वयं को बडा राष्ट्रप्रेमी तथा अपील का विरोध करने वालों को राष्ट्रद्रोही मानते हैं । लेकिन चीन से सामान आयात करने वाले बडे व्यापारियों को अपराधी कब माना जाएगा । यह बात अक्सर हमारे विभिन्न त्योहारों के अवसर पर उठती रहती है । मेरा यह सवाल है कि हमारी सरकार चीनी सामान के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध क्यों नहीं लगा सकती । यदि डब्ल्यूटीओ की ओर से किसी समझौते की कोई तकनीकी या औपचारिक समस्या है तो उसे नजरअंदाज या निरस्त कर चीनी आयात पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । क्योंकि चीन सरकार की ओर से भारत में की जा रही दुस्साहसिक गतिविधियाॅं भी समझौते के किसी न किसी पहलू का कहीं न कहीं उल्लंघन जरूर कर रही होगी ही । हमें इस अवसर का लाभ जरूर उठाना ही चाहिए ।
अब तो समाचारों में यहाॅं तक सुनने को आया है कि पाकिस्तान चीन की मदद से भारत पर हमले की तैयारी में जुटा है ।
तो फिर सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाने और चीनी सामान के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का हो-हल्ला मचाने मात्र से क्या हमारी वतनपरस्ती साबित हो जाएगी । अथवा इसका विरोध करने वाले को पाकिस्तानी या गद्दार करार देकर मसला समाप्त हो जाएगा क्या । मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान और चीन दो मुल्कों के खिलाफ आवाज उठाने वालों की संख्या बढती जा रही है जो कि जायज है । लेकिन केवल विरोध की आवाज से अब काम नहीं चलेगा । चीनी सामान के उपयोग पर पाबंदी का संकल्प तो हम स्वयं कर ही सकते हैं, लेकिन इसके आयात पर पूर्ण प्रतिबंध तो सरकार को ही लगाना होगा । जहाॅं तक पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों की बात है, भारत सरकार को केवल पाकिस्तान से समर्थन पा रहे आतंकवादियों के हमलों पर जवाबी हमले तक सिमटकर अपने फर्ज की इतिश्री नहीं मान लेनी चाहिए, बल्कि आगे रहकर ऐसी कठोर कार्रवाई करनी चाहिए जिससे वह दोबारा दुस्साहस न कर सके ।
भारत के प्रत्येक नागरिक का प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान अथवा चीन के विरूद्ध कथित युद्ध में सम्मिलित होना संभव तो नहीं है, लेकिन इन मामलों में सरकार द्वारा जारी कार्रवाई या राय की प्रतीक्षा जरूर करनी चाहिए । आखिर अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है और इस जनता ने इस सरकार को इन सब समस्याओं के समाधान के लिये ही चुना है ।

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