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नैतिकता बची नहीं, भलमनसाहत जाती रही - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. शशि तिवारी कहने को तो स्वतंत्र हुए हम 64 बसंत देख चुके हैं लेकिन जब भी जालिम अंग्रेजों का ख्याल आता है तब-तब अनायास ही हमें अपने भारतीय जल्लाद तथाकथित नेता अनायास ही याद आ जाते हैं जब भी मैं दोनों के मध्य तुलना करती हूं तो भारतीय नेताओं…