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‘गैर-बराबरी’ आखिर अर्थशास्त्र का मुद्दा बना - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अरुण माहेश्वरी नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और, इस गैर-बराबरी से निपटे बिना मुक्ति नहीं, अर्थात लगातार घटती अवधि…