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अहिंसा के हिंसक अनुयायी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
- शाक्त ध्यानी गांधी अपने हीरो कभी नहीं रहे। विद्यार्थी जीवन में जब प्रत्येक छात्र अपना एक वैचारिक शरीर खड़ा कर उसे ओढ़ता है तो उसमें जीवन के प्रति चौबीस कैरेट की शुचिता होती है। वह समाज, राष्ट्र के लिये अर्पित होने को आतुर होता है, उन दिनों अपने कमरे…