इतनी बेरूखी कभी अच्छी नहीं - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
इतनी बेरूखी कभी अच्छी नहीं ज्यादा दीवानगी भी अच्छी नहीं। फासला जरूरी चाहिए बीच में इतनी दिल्लगी भी अच्छी नहीं। मेहमान नवाजी अच्छी लगती है सदा बेत्क्लुफ्फी भी अच्छी नहीं। कहते हैं प्यार अँधा होता है मगर आँखों की बेलिहाज़ी भी अच्छी नहीं। हर बात का एक दस्तूर होता है…