मुश्किल समय में नहीं खोया धैर्य, हौसला रखा और मेहनत से पाया मुकाम

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अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को घर उपलब्ध कराते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में फुटपाथ पर रहने वाले एक दंपति को कक्षा 10 की परीक्षा में बेटी को मिली सफलता की बदौलत घर मिला है।एमपी हाई स्कूल के नतीजे आ गए हैं। कई छात्र छात्राओं ने परिस्थितियों व संकट में भी अपने हौसलों को टूटने नहीं दिया है। उन्हीं में एक है, इंदौर की रहने वाली संघर्ष की परी भारती खांडेकर ।
इंदौर के शिवाजी नगर मार्केट के फुटपाथ पर अपने माता-पिता और दो छोटे भाइयों के साथ रहने वाली भारती खांडेकर ने मध्य प्रदेश राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं की परीक्षा में 68 फीसदी अंक हासिल किए है। सड़क, फुटपाथ और मीडिया में उसकी सफलता की कहानी के चर्चे सामने आने के बाद,नगर निगम ने भारती के परिवार को फ्लैट दिया है।भारती के पिता दशरथ खांडेकर मजदूर हैं, जबकि मां लक्ष्मी घर घर जाकर काम करती हैं। भारती एक सरकारी स्कूल में पढ़ रही है।फुटपाथ पर स्ट्रीट लाइट में पढ़कर 10वीं की परीक्षा में 68 प्रतिशत अंक लाने वाली भारती खांडेकर और उसके परिवार को नगर निगम ने  काफी तलाशने ढूढ़ने के बाद पीएम आवास योजना के तहत भूरी टेकरी में बना फ्लैट नंबर 307 भारती के परिवार को दिया है।इसके साथ ही निगम के अधिकारियों ने भारती के परिवार को किताबें और ड्रेस भी दी हैं। भारती नगर निगम का यह सम्मान पाकर काफी खुश है।  बाल आयोग ने दिए निर्देश
भारती खांडेकर ने जब 10वीं की परीक्षा में कमाल किया तो उसकी चर्चा शुरू हो गई। उसकी मजबूरी की कहानियां सुन कर बाल आयोग भी सख्त हो गया। उसके बाद इंदौर प्रशासन को निर्देश दिया था कि उसके परिवार की सहायता के लिए जरूरी कदम उठाए जाए। मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इंदौर कलेक्टर को पत्र लिखकर भारती के परिवार के लिए आवास योजना में मकान उपलब्ध कराने के लिए कहा था। साथ ही, इंदौर जिला शिक्षा अधिकारी को भारती की मुफ्त पढ़ाई के लिए निर्देश दिए है।

प्रशासन ने तोड़ी झोपड़ी, 15 वर्ष बाद मिला घर
इंदौर के सरकारी अहिल्या आश्रम स्कूल में पढ़ने वाली भारती नगर निगम के सामने बने शिवाजी मार्केट के फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ रहती है ।भारती के मजदूर पिता दशरथ खांडेकर के मुताबिक फुटपाथ के सामने की तरफ हमारी झोपड़ी थी। सरकारी योजना में वह तोड़ दी गई। सबको पक्के घर मिल गए,लेकिन हमारी सुनवाई भी नहीं होती थी। दशरथ कहते हैं कि मैं सुबह मजदूरी पर और पत्नी स्कूल में झाड़ू-पोंछा करने चली जाती है। भारती दोनों छोटे भाइयों को संभालती है।और आधी रात तक भारती पढ़ती है। मैं और पत्नी जागकर उसकी रखवाली करते हैं।
 भारती के पिता दशरथ खांडेकर मजदूरी करते हैं और मां दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछे का काम करती है।माता पिता की कमाई इतनी भी नहीं हो पाती थी कि कहीं किराये पर कमरा लेकर रह सके ।कभी कभी कॉपी किताब पेंसिल के खर्चे के लिए भी रुपये नहीं हो पाते थे ।लेकिन भारती ने धैर्य रखकर मेहनत की ,मुश्किल समय में भी संघर्ष को नहीं छोड़ा ।वह स्कूल बराबर जाती थी। समय पर अपना कार्य पूरा करती है।इन्हीं के चलते भारती ने   फुटपाथ पर रहकर सफलता अर्जित की है ।
आधी रात तक जागकर, करती थी पढ़ाई
भारती खांडेकर ने बताया कि रात में मैं लिखती थी और सुबह जल्दी उठ कर पढ़ाई करती थी। मैंने संसाधनों के लिए कभी मम्मी-पापा को परेशान नहीं किया है। परीक्षा के समय मुझे नींद नहीं आती थी।
अब बनना चाहती है IASनगम निगम से सहायता मिलने के बाद भारती खांडेकर ने कहा कि मैं अपने माता-पिता को हौसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद करती हूं। हमारे पास रहने के लिए घर नहीं थे, हम फुटपाथ पर रहते थे। अब मैं आईएएस बनना चाहती हूं। साथ ही घर गिफ्ट और फ्री पढ़ाई के लिए मैं प्रशासन को धन्यवाद देना चाहती हूं।

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