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भ्रष्टाचार का गरलः निजात नहीं सरल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-ललित गर्ग- चाणक्य ने कहा था कि जिस तरह अपनी जिह्ना पर रखे शहद या हलाहल को न चखना असंभव है, उसी प्रकार सरकारी कोष से संबंधित व्यक्ति राजा के धन का उपयोग न करे, यह भी असंभव है। जिस प्रकार पानी के अन्दर मछली पानी पी रही है या…