अब तो समझे विपक्ष जनता क्‍या चाहती है

2
270

pm-modiडॉ. मयंक चतुर्वेदी
लोकतंत्र शासन प्रणाली में जनता भगवान होती है, उसके रुख से ही यह तय होता है कि किस पार्टी की नीतियों के लिए उसका बहुमत है। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं, विपक्ष किसी न किसी बहाने, बिना कोई सार्थक मुद्दा होने के बावजूद भी लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। हद तो यह है कि पुराने 500-1000 के नोट प्रचलन के बाहर करने की जहां देशभर में बहुसंख्‍यक जनता सरकार की तारीफ कर रही है, वहीं विपक्षी हैं कि उनके पेट में इतना दर्द हो रहा है कि वे एक माह तक मुकर्रर किए गए वक्‍त में आवश्‍यक विधेयकों एवं कार्रवाहीं के लिए चलनेवाले सदन को भी नहीं चलने दे रहे।
जबकि यह सच सभी जानते हैं कि जिसके विचारों एवं कार्यों से जनता सहमत नहीं होती, वह उसे चुनावों के जरिए अपना संदेश दे देती है। सत्‍ता से ऐसी किसी भी पार्टी को, भले ही वह कितनी भी ताकतवर हो, जनता सत्‍ताच्‍युत करने में देरी नहीं लगाती है, किंतु यहां तो उल्‍टा हो रहा है। सरकार ने नोटबंदी की घोषणा क्‍या की, लगातार कष्‍ट सहने के बाद भी जनता के मन में प्रधानंत्री मोदी के प्रति मान ओर बढ़ता गया। 16 नवम्‍बर से चल रहा संसद का शीतकालीन सत्र भले ही विरोधियों द्वारा बाधित किया जा रहा हो, लेकिन सड़क पर इस फैसले की तारीफ समय के साथ बढ़ ही रही है। इस बीच देश में जो लोकसभा, विधानसभा एवं नगरीय निकाय चुनाव हुए, उसमें जिस तरह का निर्णय जनता से दिया, उसको देखकर भी सच पूछिए तो विपक्ष को अब तक समझ जाना चाहिए था कि आखिर देश की जनता चाहती क्‍या है ?

राज्‍य सभा एवं लोक सभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा और सपा के सांसदों के साथ अन्‍य विपक्षी यहां तक कि सरकार के साथ जो हैं ऐसी शिवसेना के प्रतिनिधि तक विरोध प्रदर्श‍ित करते हुए लगातार हंगामा खड़ा कर रहे हैं। तो दूसरी ओर जनता है जो अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए यह बता रही है कि वे इस घड़ी में किसके साथ खड़ी है। अभी हाल ही में देश के छह राज्‍यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों के साथ दो प्रदेशों में नगरीय निकाय चुनाव हुए, उसके आए घोषित परिणाम इस संदर्भ में देखे जा सकते हैं। उपचुनावों के नतीजों के अनुसार 4 लोकसभा सीटों में से दो पर बीजेपी और दो पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 10 विधानसभा सीटों में से भाजपा और अन्‍नाद्रमुक 3-3 पर, 2 पर माकपा और कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस 1-1 सीट पर जीतने में सफल रही हैं।

इन नतीजों को यहां थोड़ा विस्‍तार से भी जानना उचित होगा। चुनाव के नतीजे स्‍पष्‍ट करते हैं कि सत्तारूढ़ दल अपने किले बचाने में सफल रहे। मध्यप्रदेश के लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की तो त्रिपुरा में वाम मोर्चा ने एक बार फिर अपनी बादशाहत कायम रखी। पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी अपनी सीट बचाने में सफल रहे तो बंगाल में ममता का जादू फिर परवान चढ़ा। यानि की जहां पहले से भाजपा है वह उपचुनावों में भी जीत हासिल करने में कामयाब रही, यदि नोट बंदी को देश की जनता नकारती, जैसा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है तो फिर क्‍या कारण है कि जनता ने दोबारा इसी पार्टी के प्रतिनिधि को चुनकर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँचा दिया ? जहां तक अन्‍य पार्टियों की जीत का प्रश्‍न है तो वहां उनका सि‍क्‍का पहले से ही जमा हुआ था, बात तो तब थी जब भाजपा की सीटें विपक्ष छीनने में कामयाब हो जाता, उस समय जरूर कहा जाता कि नोटबंदी का लोकतंत्र सही मायनों में विरोध कर रहा है।

इसके बाद महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के आए परिणाम आप देखें, इनमें भाजपा को सहयोगी शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुकाबले ज्यादा सीटों पर जीत मिली है। पहले चरण के तहत 25 जिलों में 3,705 सीटों के लिए मत डाले गए थे। अब तक घोषित नतीजों में भाजपा 851 सीटों पर जीत हासिल कर शीर्ष पर है। 147 नगर परिषद अध्यक्ष के लिए भी मतदान हुआ था। 140 पदों के लिए घोषित परिणाम में भाजपा 51 सीटें जीतकर शीर्ष पर है। यहां कुल स्थानीय निकाय की सीटें 3705 हैं, जिनमें से 3510 के नतीजे घोषित हुए हैं,  उनमें भाजपा को 851, शिवसेना 514, राकांपा 6 38, कांग्रेस 643 और अन्‍य 724 सीटों पर विजय प्राप्‍त करने में सफल रहे। इसी प्रकार नगर परिषद अध्यक्ष चुनावों के परिणामों को देख सकते हैं, जिनमें कुल 147 सीटों में से 140 के परिणाम घोषित हुए। इन चुनावों में भी भाजपा को 51, शिवसेना 24, राकांपा 19,  कांग्रेस 21 और अन्य के 25 स्‍थानों पर जीत मिली।

इसके बाद आए गुजरात स्‍थानीय निकाय चुनावों के नतीजे भी साफ बता रहे हैं कि यहां भाजपा ने बंपर जीत दर्ज करते हुए कई जगहों पर कांग्रेस का सूपड़ा तक साफ कर दिया। कुल 126 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 125 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारे थे और उनमें से 110 सीटों पर भाजपा ने कब्‍जा जमाया है। नगरपालिका, तालुका पंचायत और तहसील पंचायत चुनावों में 32 में से 28 सीटों पर कब्‍जा जमाया है वहीं कांग्रेस के खाते में 7 सीटें गई हैं। इससे पहले भाजपा के पास केवल 9 सीटें थीं। सूरत में कनकपुर-कनसाड नगरपालिका में भाजपा ने 28 में से 27 सीटें अपने नाम की है और कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिल पाई है। इसी तरह वापी नगरपालिका में 44 में से 41 सीटों पर भाजपा का कब्‍जा हुआ है और कांग्रेस 3 पर सिमट गई है।

वस्‍तुत: इन सभी चुनाव परिणामों से भी विपक्ष को सीख ले लेनी चाहिए थी कि देश की बहुसंख्‍यक जनता क्‍या चाहती है। परन्‍तु विपक्ष है कि कुछ समझना नहीं चाहता। वह लोकतंत्र के मंदिर संसद में #नोटबंदी पर हंगामा करने में लगा है, जिसके कारण देश का जो जरूरी कार्य एवं निर्णय हैं लगातार बाधित हो रहे हैं। काश ! विपक्ष इस बात को समझे कि संसद देश की जनता के लिए जवाबदेह है और इसे एक दिन चलाने में जो खर्च 2 कारोड़ रुपए आता है वह भारत के आम आदमी की गाढ़ी कमाई का हिस्‍सा है।

2 COMMENTS

  1. जहाँ तक बात चुनावों की है.माननीय लेखक यह भूल रहे हैं कि लुभावने नारे और सब्ज बाग से जनता हमेशा बेवकूफ बनी है.

  2. मैं शुरू से हीं कहता आरहा हूँ कि यह एक राजनैतिक निर्णय है. यह भी अन्य राजनैतिक चालों की तरह जनता को लुभाने के लिए एक सब्जबाग है.इसका न अर्थ शास्त्र से सम्बन्ध है और न किसी तर्क से. जनता खुश है ,क्योंकि उसे लग रहा है कि उससे ऊपर वाले उससे ज्यादा परेशान हैं.यह हमारी वही संस्कृति है,जिसमे हमें दूसरों के दुख में आनंद मिलता है. यह सिलसिला बहुत दूर तक जा रहा है.जिस दिन आम जनता को पता चलेगा कि उसे एक बार फिर वेवकूफ बना दिया गया,तब तक बहुत देर हो चुकेगी.इसके दो मुख्य उद्देश्य बतलाये गए थे.काले धन पर लगाम और नकली नोटों का प्रचलन रोकना.पहले नकली नोट.अभी तक जो समाचार आ रहा है,उसके अनुसार २००० के नकली नोट बैंक के ए.टीम.एम् तक पहुँच गए हैं.उनकी जखीरा पकडे जाने की बात तो अलग है.जिस रफ़्तार से नकली नोट आ रहे हैं,उससे क्या यह नहीं पता चलता कि आम जनता को इन नोटों की जानकारी के पहले ये नोट नकली नोटों के व्यापारियों के पास पहुँच चुके थे.काले धन पर लगाम वाले परिणाम के लिए कुछ देर तक इंतजार करना पड़ेगा.
    पुनश्च: अगर यह टिपण्णी प्रकाश में आ गयी,तो कुछ दिनों बाद मुझे उस पर भी कुछ कहने का मौका मिल जायेगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here