अब ब्रज नहीं है वैसों - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
(ब्रजदर्शन के बाद )जे वृन्दावन धाम नहीं है वैसो,कान्हा के समय रहो थो जैसोसमय बदलते बदले सब हालवृन्दावन हुओ अब बेहाल।कान्हा ग्वालों संग गैया चराई,वो जंगल अब रहो नही भाईनिधिवन सेवाकुंज बचो है,राधा कृष्ण ने जहां रास रचो है।खो गई गलियां खो गये द्वारे,नन्दगाॅव की पीर कौन बिचारे।सघनकुंज की छाया…