अब हम शिक्षक की बारी है

 

कई दिनों के बाद आज यें स्वर्णीम अवसर आया है।

बड़ी तपस्या करके हमने, शिक्षक रूप को पाया है।।

मन में उठी तमन्ना है, पूरी कर ली तैयारी है।

बहुत पढ़ाया लोगो ने, अब हम शिक्षक की बारी है।।

 

विश्वविद्यायल की माटी में अब बीज शान के बोना है।

कतर््ाव्यों से सींच के हमकों, उपकारों से धोना है।।

शिक्षक माली है बगिया का, बच्चे फूल की क्यारी है।

बहुत पढ़ाया लोगो ने, अब हम शिक्षक की बारी है।।

 

शिक्षा ऐसी हो जो, नारी जीवन का सम्मान करें।

अब कोई रावण ना फिर से सीता का अपमान करें।।

वहाॅ देवता बसते है, जहाॅ नारी पूजी जाती है।

बहुत पढ़ाया लोगो ने, अब हम शिक्षक की बारी है।।

 

नहीं पढ़ानी ऐसी शिक्षा, जो मूल्यों को तार करें।

नहीं दिलानी ऐसी दीक्षा, जो नफरत का वार करे।।

हमें शिवाजी, लक्ष्मीबाई का इतिहास पढ़ाना है।

मूल्यों का विज्ञान और रिश्तों की गणीत सिखाना है।।

गुरू -शिष्य के संम्बधों को गाती दुनिया सारी है।

बहुत पढ़ाया लोगो ने, अब हम शिक्षक की बारी है।।

 

कविः आलोक ‘असरदार‘

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here