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आजकल ज़िंदगी का भरोसा नहीं.... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
इक़बाल हिंदुस्तानी उसको शिकवा है उसको समझा नहीं, उसके बारे में मैंने तो सोचा नहीं। क़र्ज़ के वास्ते देश भी बेच दो, तुमने तारीख़ से कुछ भी सीखा नहीं। आईना तोड़कर आप धोखे में हैं, अपने चेहरे के दाग़ों को देखा नहीं। ज़िंदगी तल्खि़यों से बचा लीजिये,…