ओबामा से बड़ी रिहाईश है प्रणव की

आकाश कुमार

देश में आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए देश में आकर्षण के तीन प्रमुख केंद्र हैं। पहला ताजमहल, दूसरा कुतुब मीनार और तीसरा रायसीना हिल्स पर बना महामहिम राष्ट्रपति का आवास। नई दिल्ली के बीचोबीच अरावली रेंज की रायसीना हिल्स पर बनी यह शानदार इमारत भले आजाद भारत की शान मानी जाती हो, लेकिन इसका ख्वाब देखा था अंग्रेजों ने और उसे साकार किया ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने।

दुनिया के सभी राष्ट्राध्यक्षों के औपचारिक निवासों के मुकाबले राष्ट्रपति भवन सबसे बड़ा है। यहां तक कि वाइट हाउस भी इसके सामने नहीं टिकता। वाइट हाउस में 130 कमरे हैं जबकि चार मंजिला राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे। राष्ट्रपति भवन भारतीय, यूरोपीय और मुगल शिल्पकला का बेहतरीन संगम है। जब यह बनकर तैयार हुआ तो इसे वाइसरॉय हाउस कहा गया, क्योंकि तब इसमें वाइसरॉय रहा करते थे। देश आजाद होने के बाद जब राष्ट्रपति इसमें रहने लगे तो इसे राष्ट्रपति भवन कहा जाने लगा।

राष्ट्रपति भवन की सबसे बड़ी पहचान है इसका विशालकाय गुंबद, जिसका व्यास 22.8 मीटर है। हालांकि लुटियंस ने इसे रोम के पैंथियन से प्रेरित बताया था। विशेषज्ञों के मुताबिक यह सांची के स्तूप से प्रेरित है। इस गोल गुंबद के नीचे है दरबार हॉल। यह इस इमारत का न सिर्फ सबसे अहम कक्ष है, बल्कि सबसे भव्य भी है। यह रंगीन संगमरमर के पत्थरों से बना है। सारे अहम और औपचारिक कार्यक्रम यहीं होते हैं। इसका बड़ा आकर्षण है 33 मीटर की ऊंचाई से लटकता दो टन का झूमर। इस हॉल में पहले वाइसरॉय का सिंहासन होता था, जिसे हटाकर एक तरफ रख दिया गया है। प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह से लेकर पद्म और अर्जुन पुरस्कार समारोह तक सब यही होते हैं।

एक बड़ा जूलरी बॉक्स जैसा दिखने वाला यह हॉल मूल रूप से बॉलरूम था, जो डांसिंग के मकसद से बनाया गया था। इसका फर्श लकड़ी का है। हॉल के बीचोबीच एक डांसिंग फ्लोर भी है। इसकी सीलिंग पर पर्शियन स्टाइल पेंटिंग की गई है। यह पेंटिंग लेदर पर की गई है।

जब यह इमारत बनी थी तो इसके मुख्यतरू दो हिस्से थे – वाइसरॉय विंग और गेस्ट विंग। वाइसरॉय विंग में वह और उनका परिवार रहता था। यह एक विशालकाय हिस्सा होता था, जिसे प्रेजिडेंट सुइट्स भी कहते थे। जब सी. राजगोपालाचारी देश के पहले गर्वनर जनरल बने तो उन्होंने वाइसरॉय विंग बजाय गेस्ट विंग को निजी इस्तेमाल के लिए चुना। उसके बाद सारे राष्ट्रपति इस परंपरा का पालन करने लगे। वाइसरॉय विंग को अब गेस्ट विंग बना दिया गया है, जहां दूसरे देशों से आने वाले राष्ट्राध्यक्ष ठहरते हैं। उनके स्वागत में होने वाला स्टेट रिसेप्शन भी यहीं दिया जाता है।

राष्ट्रपति भवन में तमाम गार्डन, दालान और कोर्टयार्ड हैं। निजी गार्डन, मुगल गार्डन, हर्बल गार्डन के अलावा यहां छोटा-सा जू भी है। राष्ट्रपति भवन में 37 सैलून, 74 लॉबियां 18 सीढ़ियां और 37 झरने हैं। यहां तक कि वाइसरॉय विंग में बड़ा-सा कोर्टयार्ड है।

यह स्टेट डाइनिंग हॉल है, जहां एक साथ 104 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। मध्यकालीन कला की छाप वाली इसकी दीवारें सभी राष्ट्रपतियों के चित्रों और मध्यकालीन हथियारों से सजी हैं। इसका इस्तेमाल कैग चीफ, मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे अधिकारियों के शपथग्रहण के लिए किया जाता है। इससे लगा हुआ ही ग्रे ड्रॉइंगरूम है, जहां मेहमानों के नाश्ते का इंतजाम किया जाता है।

इसके अलावा नार्दन रूम भी है। इस रूम में भारतीय राष्ट्रपति किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष से मुलाकात करते हैं। इसके अलावा अन्य अहम जगहों में जयपुर स्तंभ, लाइब्रेरी, म्यूजियम और जीन मार्बल हॉल (लेफ्ट गैलरी, राइट गैलरी और सेंट्रल) प्रमुख हैं। इस भवन के बारे में यह कहा जाता है कि मूल योजना के मुताबिक चार साल में बननी थी यह इमारत, पर लगे 17 साल।

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी क अनुसार राष्ट्रपति भवन और संसद बनाने के लिए खाली कराए गए रायसीना और मालचा नाम के दो गांव, जिससे 300 परिवार हुए थे विस्थापित। आरंभमें इसका बजट चार लाख पाउंड था, जो 17 साल में 8,77,136 पाउंड हो गया। कहते हैं कि इसके निर्माण में 700 मिलियन ईंटों और 3 मिलियन क्यूबिक फीट लाल पत्थर का इस्तेमाल हुआ। इसका फ्लोर एरिया 2,00,000 स्क्वेयर फीट का है। इसमें लोहे का बहुत कम इस्तेमाल हुआ है

1 COMMENT

  1. भारत जैसे गरीब देश के राष्ट्रपति भवन का अमेरिका के राष्ट्रपति भवन से ज्यादा भव्य और शानदार होना मेरी निगाह में कोई गौरव की बात नहीं है.ऐसे तो भारत में राष्ट्रपति का पोस्ट ही बेतुका लगता है.किसी ऐसे व्यक्ति पर,जिसका शासन में सीधी भागेदारी भी नहीं है सरकार यानि जनता का इतने खर्च का कोई औचित्य मुझे नहीं दिखता.

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