हिंद महासागर पूर्वानुमान प्रणाली

पेशकश : असलम ख़ान

विभिन्न समयमान के संदर्भ में पूर्वानुमान समुद्री विज्ञानी मापदण्ड (स्तल और अधस्तल) मौसम विज्ञानियों से लेकर मछुआरों और जलसेना से लेकर अपतटीय उद्योगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस समय भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) भारतीय समुद्री सीमाओं और पूरे हिंद महासागर में लहरों के बारे में पूर्वानुमान करने का कार्य कर रहा है। हाल में ही इनकोसिस ने हिंद महासागर के डायनेमिक और थर्मोडायनेमिक लक्षणों के पूर्वानुमान के लिए एक नई प्रणाली शुरू की है। हिंद महासागर पूर्वानुमान प्रणाली (आईओएफएस) देश में अपने तरह की पहली प्रणाली है और इसे आईएनसीओआईएस ने घरेलू स्तर पर विकसित किया है। शुरुआत में एसएसटी, स्तलीय लहरों, एमएलडी और 200 सी. आइसोथर्म (थर्मोक्लाइन गहराई के संकेतक के रूप में) छह छह घंटों के पूर्वानुमान का काम शुरू किया है जो पांच दिन पहले ही जारी कर दिया जाएगा।

आईओएफएस ढांचा

आईओएफएस के महत्त्वपूर्ण घटकों में उत्कृष्ट महासागर व्यापक प्रसार आदर्श (ओजीसीएम), क्षेत्रीय महासागर प्रतिदर्श प्रणाली (आरओएमएस) हैं जिन्हें रुगटर्स विश्वविद्यालय, न्यू जर्सी, अमेरिका ने ओपन सोर्स कोड के रूप में विकसित और वितरित किया है। आदर्श मापदण्डों और सोर्स कोड में उचित परिवर्तन करके इस आदर्श को हिंद महासागर लक्षणों के अनुरूप तैयार किया गया है। एसएसटी आंकड़ों के उपग्रह आधारित मापन समावेशन के लिए आंकड़ा समावेशन योजना आधारित एक इष्टतम अन्तर्वेशन को इसमें शामिल किया गया है। वर्ष 2000 2008 की अवधि के लिए आदर्श द्वारा किए जाने वाले अनुकरणों को अवस्थित प्लेटफार्मों और उपग्रहों के अवलोकनों से तुलना करके उन्हें पूरी तरह विधिमान्य कर दिया गया है। चूंकि विधिमान्यता संतोषजनक रही, इसलिए आदर्श को एक नवंबर 2009 से प्रायोगिक पूर्वानुमान प्रणाली में रख दिया गया। पूर्वानुमानों को नियमित रूप से विधिमान्य बनाया जा रहा है। इस समय, राष्ट्रीय मध्य श्रेणी पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्लूएफ) नई दिल्ली के स्तलीय वायु क्षेत्र और वातावरणीय प्रवाहों के पांच दिवसीय पूर्वानुमान आंकड़ों को प्रणाली में शामिल किया गया है। इस तरह आईओएफएस पांच दिनों के समुद्रविज्ञानी लक्षणों का भी पूर्वानुमान जारी करता है।

पूर्वानुमान सृजन की पूरी प्रक्रिया स्वाचालित है। आदर्श अनुकरणों की प्रकमण के पहले और बाद की प्रक्रिया के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किए गए हैं। इसके कारण पूरे प्रक्रमण में किसी व्यक्ति को कोई हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता और मानवीय गलतियों की संभावना कम होती है। प्रणाली में कोई खामी आने पर उसकी सूचना संबंधित व्यक्ति को ई मेल और मोबाइल फोन एसएमएस से तुरंत मिल जाती है। आईओएफएस का वर्तमान संस्करण एनसीएमआरडब्लूएफ से आंकड़े प्राप्त होने के 15 मिनट के भीतर पूर्वानुमान जारी करने में सक्षम है। पूर्वानुमानों को आईएनसीओआईएस की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा पूर्वानुमान को ई मेल संदेशों और तटों पर इस काम के लिए लगाए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिसप्ले बोर्डों के जरिए भी जारी किया जाता है। रजिस्टर्ड यूजर्स के लिए एफटीपी के जरिए भी कच्चे आंकड़े उपलब्ध हैं।

आईओएफएस के संभावित उपयोगकर्ता

उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के भौतिक समुद्रविज्ञान के अनुसंधान में सक्रिय वैज्ञानिक समुदाय के अलावा आईओएफएस पूर्वानुमान के अन्य लाभार्थियों में जलसेना और तटरक्षक दल (परिचालन निर्धारण के लिए), जहाजरानी उद्योग (जलमार्ग निर्धारण के लिए), अपतटीय तेल उद्योग (विभिन्न परिचालनों के लिए), एएसएसटी प्रवणता, मिश्रित परतों आदि की गहराई संबंधी सूचना का इस्तेमाल करने वाला मत्स्य उद्योग (विशेष प्रजातियों के बारे में परामर्श के लिए) तथा भारतीय मौसम विभाग (वातावरणीय आदर्शों के संबंध में लघु और मध्य श्रेणी खासतौर से मानसून में पूर्वानुमान लगाने के लिए) शामिल हैं।

आईओएफएस को लोगों की खास जरूरतों के अनुरूप बनाया गया है क्योंकि अलग अलग उपयोगकर्ताओं की रुचियां अलग अलग होती हैं और सामान्य पूर्वानुमान सभी उपयोगकर्ताओं के लिए पर्याप्त नहीं होते। आईओएफएस के समर्थन के लिए अनुसंधान और विकास को ध्यान में रखा गया है ताकि उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा किया जा सके। उपयोगकर्ताओं द्वारा प्राप्त जानकारियों और विशेष अनुसंधान के जरिए आईओएफएस अपनी गुणवत्ता और परिमाण में और सुधार करेगा। आईएनसीओआइईएस में उच्च कार्य निष्पादन कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध है, इसलिए उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अब संगणानात्मक संरचना कोई बाध्यता नहीं रही।(स्टार न्यूज़ एजेंसी)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here