खेल जगत की खट्टी-मीठी यादों के साथ बिदा हुआ 2012

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देवेन्द्र शर्मा

साल 2012 अलविदा कह रहा है और नया साल 2013 शुरू होने ही वाला है। साल 2012 भारत के लिए खेल के लिहाज से खास रहा। इस साल भारत में कई नई क्रिकेट खिलाडिय़ों का उदय हुआ वहीं कुछ पुराने क्रिकेट खिलाडिय़ों ने इस साल खेल को अलविदा कहा। इसी साल लंदन में ओलम्पिक खेलों का भी आयोजन हुआ जिसमें भारत के खिलाडिय़ों ने उत्कृष्ठ प्रदर्शन किया। भारत ने 27 जुलाई से 12 अगस्त 2012 तक लंदन में हुए 2012 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भाग लिया जिसमें भारत की ओर से 83 खिलाडिय़ों ने कुल 13 स्पर्धाओं में भाग लिया। यह संख्या भारत द्वारा अभी तक ओलम्पिक खेलों में भेजे गये लोगों की संख्या में सर्वाधिक थी। भारत को इन खेलों में कुल 6 पदक मिले जिसमें 2 रजत पदक एवं 4 कांस्य पदक थे। ये अब तक किसी भी ओलंपिक खेलों में भारत द्वारा जीते गए सर्वाधिक पदक थे। जहां गगन नारंग ने शूटिंग में ब्रॉन्ज दिलाया वहीं विजय कुमार शूटिंग में सिल्वर मेडल लाए। सायना नेहवाल ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज जीता तो मैरीकॉम के मुक्कों ने भी ब्रान्ज पाने में सफलता प्राप्त की। योगेश्वर दत्त ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीता तो सुशील कुमार ने रजत पदक पर कब्जा जमाया। हालांकि भारत इन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने से चूक गया। इस साल साइना नेहवाल का सितारा बुलंदी पर रहा। उन्होंने ओलम्पिक में न सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि थाइलैंड ओपेन, इंडोनेशिया ओपन, डेनमार्क ओपन का खिताब अपने नाम किया। हालांकि वे फ्रेंच ओपन के फाइनल में हार गई। टेनिस में लिएंडर पेस ने 2012 की शुरूआत अपने नए जोड़ीदार राडेक स्टीपानेक के साथ आस्ट्रेलियाई ओपन जीतकर की। वहीं सानिया मिर्जा ने फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल में महेश भूपति के साथ खिताब जीता।

2012 में ही हमें फार्मूला वन का रोमांच भी देखने को मिला जब ग्रेटर नोएडा के बुद्घ इंटरनेशनल सर्किट पर लगातार दूसरी बार इंडियन ग्रां प्री का आयोजन हुआ जिसे देखने के लिए देश-विदेश से प्रसिद्घ हस्तियां बुद्घ इंटरनेशनल सर्किट पर इकट्ठा हुई। रेडबुल के सेबेस्टियन वेट्टल ने यह रेस जीती।

क्रिकेट में इसी वर्ष इंडिया की अंडर-19 क्रिकेट टीम ने आस्ट्रेलिया में आयोजित विश्व कप को भी जीता। उन्मुक्त चंद्र की कप्तानी में इंडिया ने आस्ट्रेलिया को उसी के घर में हरा विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज की। फाइनल मैच में उन्मुक्त चंद्र ने कप्तानी पारी खेलते हुए इंडिया को जीत की दहलीज पर पहुंचाया। उन्मुक्त की इस कप्तानी पारी ने भविष्य में उन्हें इंडिया टीम में प्रवेश का मार्ग भी प्रशस्त किया। इस विश्व कप से एक और सितारा उभर कर निकला। यूपी के अक्षदीप ने भी इस विश्वकप में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसी वर्ष इंडिया ने नेत्रहीनों का टी-20 वल्र्ड कप भी जीता जिसमें उसने पाकिस्तान को हराया।

बात अगर सीनियर टीम की हो तो सचिन तेंदुलकर का अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सौंवा शतक भी इसी साल पड़ा जो उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ मारा। हालांकि इसके बाद से उनका बल्ला खामोश ही चल रहा है। सचिन इसके बाद न्यूजीलैण्ड और इंग्लैण्ड टेस्ट सीरिज में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके जिसके चलते सचिन पर दबाव इस तक बढ़ गया कि आखिरकार उन्हें वन डे क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा। सीनियर क्रिकेट टीम के लिए यह साल कोई खास उपलब्धि वाला नहीं रहा बल्कि उसे निराशा ही हाथ लगी। न्यूजीलैंड ने उसे हराया। सबसे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन तो इंडिया का तब नजर आया जब उसे इंग्लैंड ने अपने ही घर में 28 वर्ष बाद हरा दिया। हालांकि इसका कारण टीम में चल रही आपसी तनातनी व सीनियर खिलाडिय़ों का संन्यास लेना भी रहा। वीवीएस लक्ष्मण व राहुल द्रविड टेस्ट क्रिकेट के एक मजबूत आधार स्तंभ थे और उनके संन्यास लेने के बाद एक बड़ी जगह रिक्त हो गई। द्रविड़ तो टीम इंडिया की दीवार थे। पांच साल बाद भारत-पाक क्रिकेट संबंधों की बहाली भी हुई। पाकिस्तान टीम टी-20 और वन डे खेलने भारत आई जिसमें पहले टी-20 मैच में पाक ने भारत को हराया जबकि दूसरे मैच में भारत ने पाकिस्तान को पटखनी देकर टी-20 श्रृंखला बराबर की। इसी साल बीसीसीआई में आपसी तनातनी भी सामने आई। मोहिन्दर अमरनाथ ने धोनी को हटाने के खिलाफ खुलकर बयान दिये जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपना पद गवाना पड़ा और उन्हें चयन समिति से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

शतरंज में ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने इसी वर्ष वल्र्ड चेस चैम्पियनशिप का खिताब जीता जिसमें उन्होंने इजरायल के बोरिस गेलफेंड को हराया। जहां इंडिया ने इतनी उपलब्धि दर्ज की वहीं खेल जगत के इतिहास में एक ऐसा काला दिन भी दर्ज हो गया जो खेलों को शर्मशार कर गया। 5 दिसम्बर को आईओसी ने आईओए को निलम्बित कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने भारतीय ओलंपिक संघ की मान्यता सस्पेंड कर दी है। यह कार्रवाई ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन करने के फलस्वरूप की गई। आईओसी के इस कदम का आईओए के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने विरोध किया है। अब भारत का कोई भी खिलाड़ी भारत की ओर से ओलंपिक में शामिल नहीं हो पाएगा। इस सम्बन्ध में आईओसी का कहना है कि उसने यह चेतावनी पहले ही दे दी थी कि अगर आईओए के चुनाव ओलंपिक चार्टर के बजाय भारत सरकार के नियमों के आधार पर होते हैं तो वो उसकी मान्यता सस्पेंड कर देगा। आईओसी का यह भी कहना है कि आईओए में किसी दागी पदाधिकारी का चुनाव नहीं होना चाहिए लेकिन कॉमनवेल्थ घोटाले में एक साल जेल काट चुके ललित भनोट को आईओए का निर्विरोध महासचिव चुन लिया गया। इस निलम्बन का परिणाम यह होगा कि अब भारत का कोई भी खिलाड़ी भारत की ओर से ओलंपिक में शामिल नहीं हो पाएगा। न ही वो आईओसी द्वारा आयोजित किसी अन्य स्पर्धा में शामिल हो सकेगा। साथ ही आईओए को आईओसी से मिलने वाला फंड भी नहीं मिलेगा। हां अगर वे चाहे तो आईओसी के बैनर तले इन प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते है। अभी यह कार्यवाही ठंडी भी नहीं हुई थी कि अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने बाक्सिंग फेडरेशन को भी निलंबित कर दिया। इसके दूसरे दिन ही खेल मंत्रालय ने ओलम्पिक चार्टर का उल्लंघन मानते हुए भारतीय तीरंदाजी संघ की भी मान्यता रद्द कर दी। हालांकि विश्व तीरंदाजी संघ ने भारतीय तीरंदाजी संघ को मान्यता दे दी है।

इन्हीं खट्टी-मीठी उपलब्धियों के साथ साल 2012 अब हमसे विदा ले रहा है। अब साल 2013 में भारतीय खेलों को कई चुनौतियों से पार पाना होगा। क्रिकेट जगत में जहां भारत को वेस्टइंडीज की धरती पर आस्ट्रेलिया से भिडऩा है वहीं इंग्लैड से टेस्ट मैचों में मिली शर्मनाक हार के बाद वन डे में अंग्रेजों से पार पाना होगा। पहली बार आयोजित हो रही हाकी इंडिया लीग में भी भारत को अपना पूरा दमखम दिखाना होगा।

 

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