एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले

रामअवतार त्यागी पुण्यतिथि (13 अप्रैल) पर विशेष

शादाब जफर ”शादाब”

”एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले मैने मन्जिल को तलाशा मुझे बाजार मिले” फिल्म जिन्दगी और तूफान का स्व. मुकेश द्वारा गाया गया ये गीत जब जब बजता है तब तब स्वभाव से शान्त, आदतों से आवारा, तबियत से बेहद जिद्दी और आचरण से बेहद तुनक मिजाज स्व. रामअवतार त्यागी की याद दिला जाता है। 25 जुलाई 1925 को सम्भल मुरादाबाद(उ0प्र0) के कुरकावली गॉव में माता भगवती देवी एवम पिता ऊदल सिहॅ त्यागी के यहां जन्मे रामअवतार त्यागी हिन्दी गीत विधा के ऐसे चर्चित व्यक्तित्व रहे है जिन्होंने एक ओर जहॉ मंचो पर भावनात्मक गीतों के कारण ख्याति प्राप्त की तो दूसरी ओर वर्तमान सामाजिक विसंगतियों और मानवीय आंकाक्षाओं को अत्यन्त गहराई से चित्रित किया। रामअवतार त्यागी के गीतों की तुलना आज भी बहुत कम गीतकारो से की जाती है या यूं कहा जाये के त्यागी की मृत्यु के बाद से गीत विधा का आगन आज भी खाली है।

मेरी हस्ती को तोल रहे हो तुम, है कौन तराजू जिस पर तोलोगे,

में दर्द भरे गीतो का गायक हूं, मेरी बोली कितने में बोलोगे,

रामअवतार त्यागी के गीत की ये पंक्तियां कह रही है की स्व:त्यागी का जीवन बहुत सघर्ष और चुनौतियों से भरा रहा गॉव की मिट्टी में पले बढे इस गम्भीर सोच के गीतकार का पूरा जीवन षब्दो के संग खेलते बीता। कवि-सम्मेलनों में उन की चिन्ताकर्षक संवेदनशील भावाकुल आवाज, दर्द भरे गीतो में जनमानस के हदयों की धडकन सिहरन, सिसकन बन जाया करती थी। उन के गीतों में जितनी पीड़ा गहराती थी गीत उतने ही मधुर होते थे। दर्द भरे गीतों के इस राजकुमार ने गीतों को दर्द और वेदना का पर्याय बना दिया। आज उसी दर्द और वेदना को आज के कवि और गीतकार, अपने गीतों में साकार कर रहे है। 35 वर्ष तक रामअवतार त्यागी नव भारत टाइम्स अखबार से जुडे रहे और इन की कलम से निकले साप्ताहिक कालम ”दिल्ली एक शहर या है ”व ”राम झरोखे” जैसे मशहूर और यादगार कालम को पाठक आज भी याद करते है। इस अमर गीतकार की कलम से रचे गये काव्य संग्रह ‘गुलाब और बबूल’, गाता हुआ दर्द, में दिल्ली हूं, लहू के चन्द कतरे, नया खून, आठवा स्वर, सपने महक उठे, गीत बोलते है तथा ”समाधान” और ”चरित्रहीन के पात्र” नाम से इन्होंने उपन्यास लिखे।

देश भक्तिगीत ”तन समर्पित मन समर्पित और ये जीवन समर्पित” तथा ”चाहता हूं कि देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं‘ को उ0प्र0 शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 7 की हिन्दी पुस्तक ”नव भारती” में शामिल किया गया। बाल उपयोगी काव्य ”मैं दिल्ली हूं” को भारत सरकार ने तथा ”आठवा स्वर” को उ0प्र0 सरकार ने पुरस्कृत किया।

”इस सदन में में अकेला ही दिया हूं मत बुझाओ

जब मिलेगी रोशनी मुझ से मिलेगी”

हिन्दी कविता के छायावाद युग में जो लोग हिन्दी गीत का सर्मथन करने में जुटे रहे उन में स्व: रामअवतार त्यागी का नाम भी अगली पंक्ति में आता है त्यागी ने आजन्म हिन्दी गीत लिखे और बहुत ही खूबसूरत दर्द भरे गीतों की रचना की कही कही तो इस गीतकार ने अपने दिल का पूरा का पूरा दर्द गीतो में उतार दिया।

”मैं न जन्म लेता तो शायद रह जाती विपदाये कुंवारी

मुझ को याद नहीं है मैंने सोकर कोई रात गुजारी

हिन्दी के मशहूर समकालीन हिन्दी गीतकार स्व: रमानाथ अवस्थी ने कहा था कि श्री रामअवतार त्यागी दर्द भरे गीतो का आवारा कवि है। स्व. रामधारी सिंह ‘दिनकर जी ने रामअवतार त्यागी जी के बारे में कहा था ”त्यागी के गीत मुझे बहुत पसन्द आते है उस के रोने उसके हंसने और उस के चिढ़ चिढे़ पन में भी एक अलग मजा है इस गीतकार की हर एक अदा मन को मोह लेती है”। अपने समकालीन इस कालजयी गीतकार की प्रशंसा में आचार्य क्षेमचन्द्र सुमन, फिक्र तौसवी, डॉ. विनय, रमेश गौड,